राफेल डील में गड़बड़ी का एक और मामला सामने आया है। इसके पीछे की वजह है मोदी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में ये कहना कि राफेल की CAG रिपोर्ट में गलती से 3 पन्ने रह गए थे।

अब इस बयान के बाद एक बार फिर मोदी सरकार की किरकिरी हो रही है। इससे पहले मोदी सरकार के वकील ने राफेल डील से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी होने की बात कही थी।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील में कथित अनियमितताओं को लेकर दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई चल रही है। आज (गुरुवार) इसी सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कैग की जो रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई थी, उसमें कुछ कागजात नहीं थे। उन्होंने कहा कि कैग रिपोर्ट में शुरुआती तीन पन्ने शामिल नहीं थे।

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इतना कहने की देरी थी की याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की बात पर कहा कि राफेल डील भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ मामला है, इसलिए सरकार यह चाहती है कि कोर्ट इसमें दखल न दे।

इसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अगर आप दस्तावेज़ों के विशेषाधिकार की बात कर रहे हैं तो इसके लिए आपको सही तर्क पेश करने होंगे। जिसपर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि राफेल दो सरकारों के बीच का मामला है। इसलिए हमने कैग को कहा था कि रिपोर्ट में दाम का जिक्र न करे।

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बता दें कि राफेल डील पर संसद में कैग की रिपोर्ट पेश की गई थी। कैग रिपोर्ट के मुताबिक, राफेल डील यूपीए से 2.86 फीसदी सस्ते में हुई है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2016 में मोदी सरकार की तरफ से साइन की गई राफेल फाइटर जेट डील 2007 में यूपीए सरकार की तरफ से प्रस्तावित डील की तुलना में 2.86 प्रतिशत सस्ती है।

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