प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नए भारत’ को ‘बेरोज़गार भारत’ भी कहा जा सकता है। यहाँ पर परीक्षा का परचा लीक होने के साथ-साथ परीक्षा न होने का प्रबंध भी रहता है। अभी हाल में यूपीटीईटी (UPTET) की परीक्षा रद्ध होने के बाद 20 लाख अभियर्थियों का गुस्सा देखने को मिला था। अब आरआरबी (रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड) ग्रुप-डी की परीक्षा देने का इंतज़ार कर रहे एक करोड़ अभियर्थियों ऑनलाइन प्रोटेस्ट पर शुरू कर चुके हैं।

दरअसल, आरआरबी ग्रुप डी की परीक्षा की तारीख को लेकर आवेदक तीन साल से इंतज़ार कर रहे हैं। अभी तक किसी आधिकारिक डेट की घोषणा नहीं हुई है। जनसत्ता की खबर के अनुसार, आरआरबी ने अपने नए नोटिफिकेशन में कहा है कि जिन आवेदकों द्वारा अमान्य फोटो और हस्ताक्षर अपलोड किए गए थे, उन्हें अपनी गलतियां सुधारने का मौका दिया जाएगा। गलतियां सुधारने के लिए लिंक जल्द ही वेबसाइट पर आ जाएगा।

बावजूद इसके, परीक्षा को लेकर कोई तारीख तय नहीं हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस परीक्षा में एक करोड़ से ज़्यादा छात्र-छात्रों को भाग लेना था।

परीक्षा की देरी को लेकर ट्विटर पर #JusticeForRailwayStudents नाम का ट्रेंड भी चलाया जा रहा है। चालीस लाख से ज़्यादा बार इसपर ट्वीट हो चूका है। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने अभियर्थियों के पक्ष में लिखा, “पहले रेलवे में नौकरी एक सम्मान की बात होती थी, आज रेलवे में नौकरी ही नहीं होती,

जल्द ही, पहले-सा रेलवे ही नहीं होगा! जनता से अन्याय बंद करो। हमें चाहिए #JusticeForRailwaysStudents”

 

महाराष्ट्र युवा कांग्रेस के अध्यक्ष सत्यजीत ने मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए लिखा, “एक करोड़ से ज़्यादा कैंडिडेट्स ने रेलवे परीक्षा के लिए मार्च 2019 में आवेदन दिया था। और वो अब भी परीक्षा होने का इंतज़ार कर रहे हैं। कई अभियर्थियों की तो ऐज लिमिट भी पार हो गई और अब वो परीक्षा देने के लिए एलिजिबल नहीं रहे।  रेल मंत्रालय को परीक्षा की तारीख जल्द से जल्द घोषित कर न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।”

कुछ लोग तो परीक्षा में देरी होने को मोदी सरकार की नाकामी तक बता रहे हैं। उनका तर्क है कि परीक्षा करवाई नहीं गई, लेकिन अभियर्थियों ने फॉर्म भरते समय रूपए जमा किए थे। इनमें से कई छात्र-छात्राएं शायद ऐज लिमिट पार करने के कारण परीक्षा भी न दे पाएं।

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