बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बाद अब RSLP अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी मीडिया के बहिष्कार का आह्वान किया है। उपेंद्र कुशवाहा ने भी तेजस्वी की तरह मेन स्ट्रीम मीडिया को मोदी मीडिया ने बताया है।

उपेंद्र कुशवाहा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव, हम प्रमुख जीतनराम मांझी, वीआईपी पार्टी प्रमुख मुकेश साहनी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, राकांपा प्रमुख शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, जेडीएस के एचडी देवेगौड़ा को पत्र लिखकर मीडिया के बहिष्कार की बात कही है।

उपेंद्र कुशवाहा ने समाचार चैनलों को आरएएस और भाजपा का एजेंडा चलाना वाला बताया है। साथ ही अपने प्रवक्ताओं को ऐसे चैनलों की बहस में न भेजने की बात भी कही है।

उपेंद्र कुशवाहा ने विपक्षी दलों को भेजे पत्र में लिखा है ‘पिछले कुछ सालों और खास कर कुछ महीनों से समाचार चैनलों की भूमिका लगातार सवालों में है। समाचार चैनलों में जिस तरह की बहसें हो रहीं हैं और एंकरों का रवैया विपक्षी दलों के साथ जिस तरह का रहता है वह चैनलों की विश्वसनीयता पर तो सवाल उठाता ही है, चैनलों की भूमिका भी इससे संदिग्ध दिखने लगती है।

ऐसा लगता है कि समाचार चैनल आरएसएस और भाजपा के एजेंडे को अपने जरिए आगे बढ़ाने में लगे हैं। यह देश के सामने गंभीर सवाल है। चैनल मूल मुद्दों से भटका कर मंदिर-मस्जिद, देशभक्त-देशद्रोह और हिंदू-मुसलमान जैसे मुद्दों को उछाल कर उन्माद फैलाने में लगे हैं। विपक्षी दलों को इस खेल में उलझाने की लगातार कोशिश की जा रही है। हमें इससे बचना चाहिए।

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी सामाजिक न्याय की पक्षधर है। विपक्षी दलों के लिए भी यह बेहद संवेदनशील विषय है। हमारा लक्ष्य राजनीतिक मंचों पर समाज के दबे-कुचले। पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित-महादलित, अकलियत, आदिवासी और वंचितों की आवाज को शिद्दत से उठाना है। हम रोजगार, युवाओं, किसानों और सामजाकि मुद्दों को लेकर लगातार संघर्ष करते रहे हैं।

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लेकिन चैनल और भाजपा व आरएसएस इन मुद्दों की बजाय छद्म राष्ट्रवाद और हिंदू-मुसलमान की बहसों में उलझाने की लगातार कोशिश कर रही है। हमें इनसे सावधान रहने की जरूरत है। इसलिए हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि इन मुद्दों पर होने वाले टीवी बहसों का हम बॉयकाट करें। हमें इन मुद्दों पर बातचीत के लिए अपने प्रवक्ताओं को भेजने से परहेज करना चाहिए।

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने फैसला किया है कि वे इन मुद्दों पर होने वाले बहसों से दूर रहेगी। सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर होने वाली बहसों में पार्टी जरूर हिस्सा लेगी। आशा करता हूं कि आप इस मसले पर गंभीरता से विचार करेंगे और टीवी चैनलों पर होने वाले नफरत भरे विषयों पर होने वाली बहसों से अपने को दूर रखेंगे। देशहित के लिए ऐसा करना जरूरी है।’

उपेंद्र कुशवाहा के इस पत्र को रिट्वीट करते हुए राजनीतिक सलाहकार संजय यादव ने लिखा है ‘चुनावों में हार-जीत लगी रहेगी लेकिन लोकतंत्र और संविधान नहीं बचेगा तो चुनाव कैसे होंगे। देश और लोकतंत्र बचाने के लिए मोदी मीडिया का बहिष्कार करे। #Boycott_Modi_Media’

बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा से पहले तेजस्वी यादव ने पत्र लिखकर तमाम विपक्षी दलों से टीवी मीडिया का बहिष्कार करने की मुहीम छेड़ी थी।

तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी, ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, चंद्रबाबू नायडू, सीताराम येचुरी, शरद पवार, सुधाकर रेड्डी, फारूक अब्दुल्ला, एम के स्टालिन, महबूबा मुफ्ती, उपेंद्र कुशवाहा, एच डी देवेगौड़ा, दिपांकर भट्टाचार्य, अजित सिंह, हेमंत सोरेन, जीतन राम मांझी, ओवैसी, बकरूदीन अजमल आदि नेताओं से लिखा है कि…

‘साथियों! एक तरफ जहाँ हम भुखमरी, बेरोजगारी, किसान और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दे उठा रहे हैं वहीं मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग BJP मुख्यालय द्वारा तय अजेंडे के तहत इन सरोकारों पर पर्दा डाल रहा है। आइए हम सामूहिक रूप से उन चैनलों का बहिष्कार करने का निर्णय लें’

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बात सही भी है टीवी मीडिया लोकतंत्र के लिए खतरा बन चुका है। टीवी मीडिया ने जिम्मेदार सूचनाओं का बहिष्कार कर दिया है। विपक्ष को गायब कर दिया है। जनता को गायब कर दिया है। ऐसे में विपक्षी दलों द्वारा टीवी मीडिया का बहिष्कार करना एक दुरुस्त फैसला है।

मीडिया ने जनता को धाराणाओं के दिवार में कैद कर दिया है। सोचने समझने की क्षमता को खत्म कर दिया है। ऐसे में न्यूज चैनलों के बहिष्कार की मुहीम कुछ लोगों को भावुक कर सकती है लेकिन इससे उबरने की जरूरत है। वरना हम सूचना विहीन समाज में बदल जाएंगे। 2019 का चुनाव समान्य चुनाव नहीं है। इस चुनाव में राजनीतिक दलों के साथ साथ टीवी मीडिया के झूठ और जनता के सच मुकाबला भी होने वाला है।

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