बिलकिस बानो केस के दोषियों की माफ़ी और रिहाई को लेकर गुजरात सरकार की देश भर में किरकिरी हो रही है. लेकिन लगता है कि इससे ना तो केंद्र सरकार को कोई फर्क पड़ रहा है ना ही गुजरात की बीजेपी सरकार को.
गुजरात सरकार ने इस मामले में एक और ढिठाई दिखाई है, सरकार ने दोषियों को छूट देने की सिफारिश करने वाली समिति के संदर्भ की शर्तों पर एक प्रश्न के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी देने से इंकार कर दिया है।
नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता पंक्ति जोक ने गुजरात सरकार के गृह विभाग से दोषियों की रिहाई के लिए बनाई गयी सिफारिशी समिति के संदर्भ और शर्तों के बारे में जानकारी मांगी थी.
इसके जवाब में गुजरात के गृह विभाग ने कहा कि आवेदन में मांगी गई जानकारी आरटीआई की परिभाषा के तहत नहीं आती है. गृह विभाग ने आरटीआई अधिनियम के एक प्रावधान का हवाला देते हुए कहाकि मांगी गई जानकारी सूचना के अधिकार की परिभाषा में नहीं आती है.
महिति अधिकार पहल के लिए काम करने वाली पंक्ति जोग अब इस फ़ैसले के खिलाफ़ आगे अपील करेंगीं. जोक ने द वीक से कहा कि ये हास्यास्पद है और गृह विभाग से इसकी उम्मीद नहीं थी।
दरअसल पंक्ति ने पिछले पांच साल के दौरान छूट के नाम पर दोषियों के नामों पर विचार करने के लिए गठित समितियों के संदर्भ की शर्तों की प्रामाणित प्रतियां मांगी थी.
जोग ने पिछले पांच साल में रिहा किए गए दोषियों की संख्या, तारीख़ों के साथ छूट किस आधार पर दी गई, ये जानने की मांग की थी. जोग ने कहाकि उन्हें इस मामले में कोई पारदर्शिता नहीं मिली और इसलिए उन्होंने ये आवेदन दायर किया था.
वहीं बिलकिस बानो के दोषियों ने सु्प्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि समय से पहले उनकी रिहाई एकदम सही है. गुजरात सरकार ने ‘समय से पहले रिहाई’ से जुड़े पूरे नियमों का पालन करते हुए उन्हें रिहा किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि उनकी रिहाई के लिए इससे जुड़े 1992 के नियम लागू होंगे।
गुजरात की बिलकिस बानो केस 2002 दंगों का है. तब पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था. उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी गई थी.
इस मामले में 21 जनवरी 2008 को मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 11 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था. लेकिन गुजरात सरकार ने माफ़ी नीति के आधार पर इस साल 15 अगस्त को इन 11 दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया था।