उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़ी एक खबर को साझा करते हुए समाजवादी पार्टी ने लिखा है, हमने आज तक बस यही सुना था कि योगी, संत, महात्मा की कोई जाति नहीं होती, वो सबको एक नजर से देखता है, लेकिन यूपी के घोर जातिवादी सीएम अदित्यनाथ जी ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में अपने जातिवादी रवैये को स्वीकार किया और उस पर गर्व भी किया, ये जातिवाद अब और नहीं चलेगा अदित्यनाथ जी!

दरअसल, उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर हिंदुस्तान टाइम्स ने सीएम योगी का एक इंटरव्यू किया है। इस इंटरव्यू के दौरान पत्रकार ने सीएम योगी से पूछा ‘जब आपसे ये कहा जाता है कि आप सिर्फ राजपूतों की राजनीति करते हैं, तो क्या आपको दुख होता है?

इसके जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा- मुझे कोई दुख नहीं होता। क्षत्रिय जाति में पैदा होना कोई अपराध नहीं है। मुझे क्षत्रिय होने पर गर्व है। इस जाति में भगवान ने बार-बार जन्म लिया है। अपनी जाति पर स्वाभिमान हर व्यक्ति को होना चाहिए।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जिस नाथ परम्परा से आते हैं उसमें जाति व्यवस्था, वर्णाश्रम व्यवस्था और ऊंच-नीच निषेध है। कभी नाथपंथियों में वर्णाश्रम व्यवस्था से विद्रोह करने वाले सबसे अधिक लोग हुआ करते थे। यही वजह है कि गोरखनाथ का प्रभाव कबीर, दादू, जायसी और मुल्ला दाऊद जैसे अस्पृश्य और गैर-हिन्दू कवियों पर भी माना जाता है।

लेकिन नाथपंथ के वर्तमान अगुआ ‘योगी आदित्यनाथ’ अपनी जाति की जड़ को छोड़ नहीं पाए हैं। जाति पर गर्व करने वाला उनका बयान बतात है कि वो योगी आदित्यनाथ के खोल में अजय सिंह बिष्ट हैं। जाति के इसी जंजाल की तरफ उत्तर प्रदेश में उच्च पदों पर हुई नियुक्तियां भी इशारा करती हैं।

यूपी में 26% डीएम योगी आदित्यनाथ की जाति के यानी ठाकुर हैं। यूपी में कुल 75 जिले हैं, इनमें से 61 ज़िलों में एसपी और डीएम में से एक पद पर ठाकुर या ब्राह्मण हैं। कई जगहों पर दोनों पदों पर इन्हीं जातियों से अफ़सर हैं। यूपी के कुल जिलाधिकारियों में से 40% सवर्ण हैं। 26% ठाकुरों के बाद सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मण जिलाधिकारियों (11%) की है। SSP/SP की बात करें तो 75 में से 18 जिलों की कमान ठाकुरों के पास हैं और 18 ब्राह्मणों के पास।

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