एक तरफ़ बीजेपी ट्रांसजेंडर बिल को सदन में ले आकर ट्रांस समुदाय की बेहतरी का दावा करती है तो दूसरी तरफ बीजेपी के नेता ट्रांसजेंडर शब्द यानी ‘हिजड़ा’ को गाली के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक डिबेट शो में कहा कि वह सोनिया गांधी के सामने झुकने वाले हिजड़े नहीं हैं।

दरअसल हुआ यूं कि बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा न्यूज़ 18 के डिबेट शो में शिरकत करने पहुंचे थे। ये डिबेट महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम को लेकर हो रही थी। डिबेट पैनल में संबित के साथ, शिवसेना के प्रवक्ता संजय गुप्ता और पत्रकार अशोक वानखेड़े मौजूद थे। डिबेट में संबित पात्रा शिवसेना पर धोखेबाज़ी का आरोप लगाते हुए बाल ठाकरे को उस बयान का ज़िक्र करने लगे जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में हिजड़े हैं, जो सोनिया गांधी के सामने झुकते हैं।

दिलचस्प बात तो ये है कि बाल ठाकरे के जिस बयान की संबित पात्रा को आलोचना करनी चाहिए थी, उस बयान का इस्तेमाल वह विरोधी पर निशाना साधने के लिए करने लगे। संबित पात्रा सिर्फ बयान को कोट करने पर ही नहीं रुके। उन्होंने बहस के दौरान ही ये साबित भी कर दिया कि बाल ठाकरे की तरह ही वह भी ट्रांस समुदाय के लिए दुर्भावना रखते हैं।

डिबेट के आगे बढ़ते ही संबित की बहस पत्रकार अशोक वानखेड़े से होने लगती है। संबित आरोप लगाते हुए कहते हैं कि वानखेड़े उनसे व्यक्तिगत हिसाब सेटल करने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर वानखेड़े ने जवाब दिया कि वो संबित को अपने बराबर का मानते ही नहीं हैं, ये उनकी गलतफहमी है। वानखेड़े कहते हैं कि अगर वो मानेंगे तो बड़े नेता को मानेंगे, वो हारे हुए सांसद के साथ अपना हिसाब-किताब सेटल नहीं करते।

वानखेड़े की इस बात पर संबित भड़क जाते हैं और अपना आपा खो देते हैं। वह कहते हैं, ‘मैं छोटा हूं। आप बड़े हैं। लेकिन आप बड़े आदमी की तरह बर्ताव तो करें। आप कांग्रेस के चाटुकार की तरह बर्ताव मत कीजिए। सुन तो लीजिए। आप मुझे सर्टिफिटेक दे रहे हो, तो मैं भी आपको दूंगा। मैं यहां सोनिया गांधी के सामने झुकने वाला हिजड़ा नहीं हूं। मैं आपका जवाब दे सकता हूं”।

बीजेपी नेता के इस बयान से साफ़ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वह ट्रांस समुदाय के बारे में क्या सोच रखते हैं। उन्हें लगता है कि हिजड़ा एक अपशब्द है जिसे किसी दोहरे, दलबदलू या अस्थिर व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। जबकि सदन में ट्रांसजेंडर समेत पूरे हिजड़ा समुदाय की पहचान को स्वीकारने, उन्हें भेदभाव से बचाने, उन्हें सम्मान दिलाने के लिए बिल पास कराया जा रहा है।

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