मोदी सरकार के शासनकाल में सरकारी संपत्तियों का नीजिकरण किए जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। अब लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट यानि चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को सरकार के स्वामित्व से निकालकर निजी हाथों में सौंपा गया है।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एयरपोर्ट की कमान 50 साल के लिए अडानी समूह को सौंपी है।
अब अडानी समूह अमौसी एयरपोर्ट के विकास, प्रबंधन और वित्तीय मामलों के फैसले लेगा। बताया जा रहा है कि एयरपोर्ट को निजी हाथों में देने से सुविधाओं का विस्तार होगा।
लेकिन यहां ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि सुविधा के मुताबिक शुल्क भी बढ़ाए जा सकते हैं। हालांकि अभी तक सुविधा शुल्क में कोई इज़ाफा नहीं किया गया है।
एयरपोर्ट को निजी हाथों में दिए जाने के बाद केंद्र की मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने करीबियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी संपत्तियों को बेच रहे हैं।
कांग्रेस की महासचिव और पार्टी नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा, “भाजपा का जनता को दिवाली का गिफ्ट: भयंकर महंगाई, भाजपा का अपने पूंजीपति मित्र को दीवाली गिफ्ट : 6 एयरपोर्ट। पूजीपतियों का साथ, पूंजीपतियों का विकास”।
वहीं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने एयरपोर्ट को अडानी समूह के हाथों में दिए जाने को हिंदू राष्ट्र की स्थापना बताया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “हिन्दू राष्ट्र का निर्माण तभी होगा जब धीरे-धीरे सारी सरकारी सम्पत्तियाँ मोदी जी के मितरो के नाम हो जाएगी”।
बता दें कि अमौसी एयरपोर्ट 1986 में बनकर तैयार हुआ था। 2008 में इसका नाम चौधरी चरण सिंह कर दिया गया था। 2012 में अमौसी को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का दर्जा मिल गया था।
इस एयरपोर्ट से 55 लाख से अधिक यात्रियों की सालाना आवाजाही है। 160 से अधिक विमानों का संचालन हो रहा है। वर्तमान में राजधानी से 68 घरेलू और 10 अन्तरराष्ट्रीय वंदे भारत मिशन की उड़ानों का संचालन हो रहा है।