ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल एक बार फिर से बढ़ा दिया गया है। केंद्र सरकार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाकर 15 सितंबर तक कर दिया है।

ईडी चीफ़ के कार्यकाल बढ़ाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रहे जज ने कहा कि क्या बाकी सब ईडी के अधिकारी अयोग्य हैं?

भाजपा सरकार ने एक बार फिर से ईडी चीफ का कार्यकाल बढ़वा लिया है। ईडी चीफ़ संजय मिश्रा का कार्यकाल 15 अक्टूबर तक बढ़ाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने बदलकर 15 सितंबर तक कर दिया है।

जिसके बाद देश में सियासी हलचल मच गयी है। विपक्ष के नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि ईडी, सीबीआई जैसे एजेंसियों का प्रयोग कर भाजपा गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकारों को अस्थिर करना चाहती है।

विपक्ष का आरोप है कि ईडी चीफ़ संजय मिश्रा भाजपा के इशारे पर विपक्षी नेताओं पर साज़िशन फ़र्ज़ी जांच में फसाते हैं। और उन्हें डराकर भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने भाजपा और पीएम मोदी पर निशाना साधा है।

कांग्रेस से राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि- “सुप्रीम कोर्ट ने संजय मिश्रा का कार्यकाल डेढ़ महीना के लिए बढ़ा दिया है। यह एक बड़ा सवाल है कि आखिर इस डेढ़ महीने में क्या होने वाला है?”

कांग्रेस नेता ने आगे कहा- “केंद्र सरकार इसलिए अपने पसंदीदा ईडी चीफ़ का कार्यकाल बढ़वाना चाहती है ताकि विपक्षी नेताओं पर फ़र्ज़ी मुकदमा करवाकर गैर भाजपा शासित राज्य सरकारों को अस्थिर किया जा सके।”

भाजपा पर बड़ा आरोप लगाते हुए तिवारी ने कहा कि- केंद्र सरकार पिछले दिनों बिहार, बंगाल और झारखंड में गैर भाजपा सरकार के नेताओं को ईडी का डर दिखाकर वहां की सरकार को गिराना चाह रही थी।

बता दें कि ईडी चीफ संजय मिश्रा के कार्यकाल को अब तक चार बार बढ़ाया जा चुका है। उन्हें नवंबर 2018 में दो साल के लिए ईडी चीफ बनाया गया था। जिसे केंद्र की भाजपा सरकार ने नवंबर 2020 में एक अध्यादेश संशोधन कर तीन साल कर दिया था।

फिर 2021 में मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाया गया। जो 31 जुलाई 2023 को समाप्त हो जाती। लेकिन एक बार फिर से केंद्र सरकार ने ईडी चीफ का कार्यकाल बढ़वा दिया हैं। जिसको लेकर विपक्ष भाजपा पर जमकर आरोप लगा रहा है।

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