महंगाई, रोजगार, औद्योगिक विकास, स्वास्थ्य, भ्रष्टाचार को सिमित और उसका विकास करना मोदी सरकार का ध्येय होना चाहिए। लेकिन हो ये रहा है कि मोदी सरकार में ये सभी चीज़े औंधे मुँह धड़ाम से नीचे गिर चुकी हैं। आने वाले समय में इसे संभालना किसी भी सरकार के लिए खासी चुनौती साबित होगी। महंगाई ने मोदी सरकार में एक बार फिर लोगों की कमर तोड़कर रख दी है।
एक सर्वे के मुताबिक, 72% भारतीय मानते हैं कि नरेन्द्र मोदी की सरकार में महंगाई बढ़ी है और महंगाई के ही चलते आम आदमी की परेशानियां बढ़ गई हैं। इस सर्वे में 40% भारतीयों का मानना है कि महंगाई का बुरा असर उनके जीवन की गुणवत्ता पर भी पड़ा है। 65.8% भारतीयों का कहना है कि उनके लिए खर्च संभालना अब खासा मुश्किल हो गया है।
2014 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के समय भी 65.9% लोगों ने यही बात कही थी, जबकि 2015 में यह आंकड़ा 46.1% थी। ज्ञात हो कि कांग्रेस की सरकार की सरकार जाने और भाजपा की सरकार आने की एक वजह बढ़ी हुई महंगाई भी थी। लेकिन 6 साल सरकार चलाने के बाद मोदी सरकार ने खुद आम जनता से दगाबाजी कर रही है। महंगाई कम करने के नाम पर भाजपा सरकार महंगाई बढ़ा रही है।
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फरवरी महीने में आम बजट आने से पहले आईएएनएस-सीवोटर ने 4292 लोगों के बीच जनवरी महीने के तीसरे और चौथे हफ्ते में महंगाई को लेकर एक सर्वे किया। महंगाई, आम आदमी, खर्च को लेकर लोगों से सवाल किए गए। इस सर्वे के मुताबिक, 48% भारतीय मानते हैं कि बीते एक साल में आम आदमी की जिंदगी बर्बाद हो गई है।
देश के आम बजट से पहले इस सर्वे की सबसे खास बात यह है कि, लोगों ने ये माना है कि अपनी उम्मीदों और आशाओं से कम हासिल कर पा रहे हैं। इसीलिए इस समय कम आय/कमाई भी उनके लिए काफी है। कितना हैरान करता है कि लोग कम आय से भी संतुष्ट हैं! जो लोग यूपीए शासनकाल में इससे त्रस्त रहा करते थे। फिर अब लोगों को क्या हुआ?
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इस सर्वे में शामिल 51.5% लोगों का मानना है कि उनके लिए 20 हजार की मासिक आय भी पर्याप्त है। 2019 में 50.2% लोगों की यही राय थी। इस बार हुए सर्वे में 23.6% लोगों का मानना है कि 4 लोगों के परिवार के लिए 20-30 हजार के बीच आय जरुरी है।
सर्वे में 48.4% लोगों ने माना है कि आम आदमी के जीवन की गुणवत्ता बीते एक साल में बर्बाद हो गई है। यही मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जिन लोगों ने विकास और अच्छे दिन की उम्मीद लगा रखी थी वो अब दूर की कौड़ी हो चुकी है। 2015 में हुए ऐसे ही सर्वे में 24.6% लोगों की यही राय थी। यही कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार में बढ़ी हुई महंगाई को कम दिखाने के लिए 2015 में महंगाई पर काबू पाया। लेकिन बाद में वर्षों में जनता की कमर तोड़ने में लग गई।