विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद मोदी सरकार ने लोकसभा में सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 पेश कर दिया। इस मंजूरी के बाद यह विधेयक सूचना आयुक्तों का वेतन, कार्यकाल और रोजगार की शर्तें एवं स्थितियां तय करने की शक्तियां सरकार को प्रदान कर देगा। अब इस फैसले पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुला पत्र लिखकर इस फैसले की आलोचना की है।
सोनिया ने पत्र में लिखा यह साफ है कि मौजूदा केंद्रीय सरकार आरटीआई कानून को एक विलेन के रूप में देखती है और केंद्रीय सूचना आयोग की स्थिति और स्वतंत्रता को नष्ट करना चाहती है, जिसे केंद्रीय चुनाव आयोग और केंद्रीय सतर्कता आयोग के साथ रखा गया था।
केंद्र सरकार अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए अपने विधायी बहुमत का उपयोग कर सकती है, लेकिन इस प्रक्रिया में यह हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को अलग कर देगी।
यह बेहद चिंता का विषय है कि केंद्र सरकार ऐतिहासिक सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 को पूरी तरह से ध्वस्त करने पर आमादा है। यह कानून, व्यापक परामर्शों के बाद तैयार किया गया और संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया, जो अब ये खत्म होने की कगार पर है।
पिछले एक दशक में हमारे देश के 60 लाख लोगों ने आरटीआई का उपयोग किया है और सभी स्तरों पर पारदर्शिता और जवाबदेही प्रशासन की एक नई संस्कृति में प्रवेश करने में मदद की है। परिणामस्वरूप हमारे लोकतंत्र की नींव अथाह रूप से मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों ने आरटीआई का प्रयोग कर समाज के कमजोर तबके को बहुत लाभ पहुंचाया है।
Statement by Chairperson Congress Parliamentary Party Smt. Sonia Gandhi on the attempt by the BJP Govt. to dilute the independence of the Central Information Commissioner. pic.twitter.com/OW0m8lhWzs
— Congress (@INCIndia) July 23, 2019
बता दें कि संशोधन विधेयक 2019 में ये हैं जो प्रावधान किये गए है। वो कुछ इस प्रकार है। मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों और राज्यों के मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा की दूसरी शर्ते केंद्र सरकार तय करेगी
मौजूदा कानून के मुताबिक, मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों के बराबर है। दूसरी शर्तें भी वैसी ही हैं।
आरटीआई कानून में संशोधन होने के बाद आयुक्तों का वेतन, कार्यकाल और रोजगार की शर्तें और स्थितियां तय करने का अधिकार सरकार को मिल जाएगा।