साल 2018 के दिसम्बर महीने में स्टरलाइट तांबा संयंत्र को बंद करने के तमिलनाडु सरकार के फ़ैसले को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने रद्द कर दिया था। अब एनजीटी के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुँच गई है। उसने कोर्ट में याचिका दाख़िल कर एनजीटी के फ़ैसले को चुनौती दी है।

तमिलनाडु सरकार ने राज्य के आदिवासी बहुल तूतीकोरिन इलाक़े में मौजूद वेदांता समूह के स्टरलाइट तांबा प्लांट को स्थाई तौर पर बंद करने का आदेश मई 2018 में दिया था। वेदांता समूह इस आदेश के ख़िलाफ़ एनजीटी चली गई थी जहाँ एनजीटी ने तमिलनाडु सरकार के फ़ैसले को अनुचित करते हुए रद्द कर दिया था।

अब तमिलनाडु सरकार ने मामले में एनजीटी के फ़ैसले के ख़िलाफ़ देश की सबसे बड़ी अदालत का रुख़ किया है।

वहीं स्टरलाइट कॉपर प्लांट की पर रिपोर्ट बनाने की चाह रखने वाले अमेरिकी पत्रकार मार्क सयला का भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। मार्क ने 28, 29 दिसम्बर को प्लांट के आस-पास के लोगों का इंटरव्यू लिया था। मार्क को भारत छोड़ने के साथ ही फ़ॉरेन रजिस्ट्रेशन ऑफ़िस से उनको ब्लैकलिस्ट करने के लिए भी कहा गया है।

तूतीकोरिन के एसपी ने इस बारे में नोटिस जारी कर बताया कि, मार्क टूरिस्ट वीज़ा पर भारत आए थे। लेकिन वो रिपोर्टिंग करने लगें। ये नियमों का उल्लंघन है।

क्या है तूतीकोरिन मामला-

खनन कम्पनी वेदांता की तूतीकोरिन में मौजूद स्टरलाइट कॉपर प्लांट के विरोध में स्थानीय लोग 99 दिन से प्रदर्शन कर रहे थे। लोगों का कहना था कि इस संयंत्र की वजह से तूतीकोरिन समेत आस-पास के इलाक़े को प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझना पड़ रहा है।

इसके बावजूद भी वेदांता तूतीकोरिन में प्लांट के विस्तार की बात कह रही है। 99 दिन से चल रहे प्रदर्शन ने 100 वें दिन पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। क्योंकि उस दिन 22 मई को प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की ओर से की गई गोलीबारी में 13 लोगों की मौत हो गई। मामला गम्भीर होती देख 28 मई 2018 को तमिलनाडु सरकार ने प्लांट पर स्थाई रोक लगाने का आदेश दिया था।

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