बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का बड़ा बयान सामने आया जिसमें तेजस्वी यादव ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा- भाजपा को बिहार में सरकार जाने के बाद से 2024 चुनाव को लेकर डर लगने लगा है और दूसरे राज्यों में भी बिहार जैसा हाल न हो जाए इसको लेकर भाजपा डरी हुई है.

साथ ही तेजस्वी यादव ने कहा कि हम नीतीश कुमार के नेतत्व में अपने किए हुए वादों को पूरा करने की ओर बढ़ रहे हैं जिससे भाजपा डरी हुई है।

तेजस्वी यादव ने भाजपा की राज्य सरकारों पर हमला करते हुए कहा है कि भाजपा किसी भी राज्य में युवाओं को नौकरी नहीं दे पा रही है और हम बहुत जल्द बिहार के युवाओं को लाखों नौकरी देने जा रहे हैं. वो पूरा होते ही बाकी राज्यों में भी ऐसी माँग उठने लगेगी. तब भाजपा क्या करेगी?

इस बयान से यह साफ है कि बिहार में बहुत जल्द बेरोजगार युवाओं को नौकरी मिलने वाली है, और ऐसा होता है तो निश्चित ही रोजगार का मुद्दा अन्य राज्यों में भी तेजी से उठेगा।

भारत में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है और 2017 से ही इस पर बात हो रही है पर हिन्दी भाषी राज्यों में बिहार को छोड़कर ये चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया है.

ऐसे में देखना होगा कि बिहार में 2024 के पहले कितने लोगों को नौकरी मिलती है, और क्या सच में आगे होने वाले अन्य राज्यों के चुनाव में यह मुद्दा बन पाता है या नहीं।

महंगाई चुनावी मुद्दा कैसे

बात साल 2004 की हो या 2014 की, मंहगाई चुनावी मुद्दा रही है पर 2017 UP चुनाव से अभी तक महंगाई किसी भी चुनाव में मुद्दा नहीं बन पाई है और यही करने से विपक्ष लगातार चुनाव हार रहा है.

हालांकि इस बार महंगाई मुद्दा होगी. इसके कारण स्पष्ट हैं. आज वो सारे सामान आम इंसान की पहुंच से बाहर हो गए हैं जो उसकी जरुरत है. इसमें बेरोजगारी भी एक कारण है.

क्योंकि भारत के लगभग हर घर में एक बेरोजगार व्यक्ति है और जो कमा रहे हैं उनकी आमदानी कम हो रही है।

हाल ही में आए एक सर्वे में बताया है कि भारत के 97 प्रतिशत लोगों की आमदानी महंगाई के अनुसार नहीं बढ़ रही है यानी खर्च से कम कमा पा रहे हैं।

कल ही सरकार की ओर से जारी किए गए अगस्त माह के आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा महंगाई दर (CPI) बढ़कर 7 प्रतिशत हो गई है, यह जुलाई में 6.71 प्रतिशत थी। सीपीआई अभी भी लगातार माह से आरबीआई के तय किए गए महंगाई के बैंड 2-6 प्रतिशत के ऊपरी स्तर से अधिक बनी हुई है.

इसमें कच्चे तेल के दाम 3 माह में 27 प्रतिशत कम होने के बाद भी सरकार ने जनता को कोई राहत नहीं दी है. ऐसे में जनता सरकार से कम विपक्ष से ज्यादा उम्मीद कर रही पर TV मीडिया विपक्ष को भुला चुका है और जनता को “मोदी नहीं तो’ “कौन” वाले विकल्प में उलझा रखा है. कितने दिन और उलझा पाता है वो अभी आने वाले गुजरात और हिमाचल के चुनाव से स्पष्ट हो जाएगा. क्योंकि गुजरात में सत्ताधारी दल भाजपा की हालत अच्छी नहीं है।

राज्यों के चुनाव के बाद स्तिथि होगी साफ

इस साल के अंत में 2 राज्य गुजरात और हिमाचल में चुनाव हैं, जो भाजपा शासित राज्य हैं. तो वहीं अगले साल 2023 में देश के 9 राज्यों में चुनाव है जिसमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, और तेलंगाना को छोड़कर 6 राज्यों में BJP या उनके समर्थन वाली सरकार है.

ऐसे में यह कहना गलत नहीं है कि भाजपा को छोड़ सारी पार्टियां मंहगाई और बेरोजगारी को चुनावी मुद्दा बनाएंगी. इसका कारण है जहां BJP की सरकार नहीं है. उसमें राजस्थान को छोड़कर बेरोजगारी भाजपा शासित राज्यों में ज्यादा है. तेलंगाना में बेरोजगारी 6.7 प्रतिशत है और भाजपा का वोट प्रतिशत भी 2 प्रतिशत से कम है, तो वहीं छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी लगभग जीरो यानी 1 प्रतिशत से भी कम है।

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