हमारे देश के नेता कितना झूठ बोलते हैं, कोई झूठ बोलकर पीएम बनता है… कोई सीएम बनता है… कोई एमपी बनता है… कोई एमएलए बनता है। लेकिन देश के न्यूज़ चैनलों, अख़बारों को हमारे नेताओं के झूठ का पर्दाफ़ाश करने से ज़्यादा मज़ा विदेश नेताओं के झूठ को पकड़ने में आता है।

आप भी देख लीजिए किस तरह से हिंदी के एक अख़बार ने बक़ायदा पूरी डीटेल में ये जानकारी दी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कितने साल में कितने हज़ार बार झूठ बोला है।… मतलब हद है!…

अरे भाई! इतना दिमाग़ हमारे नेताओं के झूठ को पकड़ने में ख़र्च करते तो आपके अख़बार का हर पन्ना इनके झूठ से पटा होता। ख़ासकर पीएम मोदी एंड कम्पनी के झूठ से।

जैसे मोदी जी ने वादा किया था कि 2 करोड़ नौकरी हर साल पैदी होगी… हुई?

पाकिस्तान को उसकी भाषा में सबक़ सिखाएंगे

उज्ज्वला योजना से फ़ायदे की जगह लोग फिर चूल्हा फूंक रहे हैं

बेटी-बचाओ अभियान का आधे से ज़्यादा पैसा मोदी सरकार के प्रचार में ख़र्च कर दिया जा रहा है।

राममंदिर बनाएंगे कहा था अब मुकर गए

गंगा को साफ़ करेंगे, कहा था वो भी नहीं हुआ।

और ऐसे हज़ारों झूठ मिल जाएंगे

वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ट्वीटर पर लिखते हैं कि-

अपने मुल्क के सत्ताधीशों के बारे में भी ऐसी खबरें छपनी चाहिए ..चाहिए कि नहीं चाहिए?

उनका सवाल जायज़ है यक़ीनन ऐसा होना चाहिए, लेकिन जो मीडिया मोदी जी की शान में दिन भर क़सीदे पढ़ता है आप उससे बहुत ज़्यादा उम्मीद नहीं कर सकते। इसलिए जनता को ख़ुद आँख, कान खुले रखने चाहिए ताकी वो देख और समझ सकें

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