केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार के शासनकाल में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है और बेरोज़गारी बढ़ रही है। सरकार के भारत विकास के खोखले दावों की पोल खुल चुकी है।

इसी बीच खबर सामने आई है कि भारत में यूसीजी ने 24 यूनिवर्सिटीज को फर्जी पाया है।

इस संदर्भ में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जानकारी साझा करते हुए बताया है कि जिन 24 यूनिवर्सिटीज को फर्जी घोषित किया गया है। उन पर नियमों के उल्लंघन का आरोप है। लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह बयान दिया है।

जिसके तहत छात्रों, अभिभावकों, आम जनता इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के जरिए आई शिकायतों के आधार पर इन 24 यूनिवर्सिटीज को फर्जी घोषित किया गया है।

देशभर में 24 फेक यूनिवर्सिटी के मामले पर टिप्पणी करते हुए बोलता उत्तर प्रदेश के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से लिखा जाता है- “फर्जी यूनिवर्सिटी में यूपी नंबर वन, देश भर की 24 फेक यूनिवर्सिटी में 8 सिर्फ उत्तर प्रदेश से”

हैरानीजनक बात यह है कि जिन यूनिवर्सिटीज और शिक्षण संस्थानों पर ये कार्रवाई की गई है। उनमें से ज्यादतर भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं।

जिनमें वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, मथुरा, प्रतापगढ़ और नोएडा यूनिवर्सिटी शामिल है। इसके अलावा दिल्ली और एनसीआर में भी ऐसे शैक्षणिक संस्थान है। जिन पर यूजीसी के मानक नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है।

इसके अलावा ओडिशा और बंगाल में इस तरह की दो-दो यूनिवर्सिटीज हैं। वहीं, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और पुडुचेरी में एक-एक फर्जी यूनिवर्सिटीज पाई गई हैं।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि यूजीसी ने गैर-मान्यता प्राप्त और फर्जी यूनिवर्सिटीज की लिस्ट अंग्रेजी और हिंदी के राष्ट्रीय अखबारों में छापी है।

जानकारी के मुताबिक, जब कोई स्वयंभू संस्थान, यूजीसी अधिनियम 1956 का उल्लंघन करता पाया जाता है। तो यूजीसी द्वारा राष्ट्रीय हिंदी और अंग्रेजी समाचार पत्रों में फर्जी यूनिवर्सिटीज/ संस्थानों की लिस्ट के बारे में सार्वजनिक नोटिस जारी करता है।

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