अमेरिका की संसद ‘कांग्रेस’ में हर साल ‘अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता’ पर रिपोर्ट पेश की जाती है. इसमें अलग-अलग देशों में धार्मिक स्वतंत्रता पर बात की जाती है.

इसी रिपोर्ट में भारत में कम होती धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल उठाए गए हैं. रिपोर्ट का कहना है कि भारत में हिन्दू संगठनों ने अल्पसंख्यकों पर 2018 में भी हमले किए हैं.

आपको बता दें की जब 2014 में NDA की सरकार बनी थी, तब से ही मुसलमानों की भीड़ हत्या के मामले बढ़ गए हैं.

रिपोर्ट में लिखा है कि हिन्दू बहुल भारतीय जनता पार्टी (BJP ) के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए हैं. साथ ही ये भी कहा गया है कि हिन्दू संगठनों ने मुसलमानों की साल भर ‘बीफ’ के नाम पर भीड़ हत्या की.

अब इस दावे को झुठलाया भी नहीं जा सकता है.

जून 2018 में उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक आदमी की गौ हत्या की अफवाह के चलते भीड़ हत्या कर दी गयी थी. बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की भी भीड़ हत्या की गयी थी. यहाँ कथित गोहत्या से ग़ुस्साई भीड़ ने इस पुलिस इंस्पेक्टर की पीट-पीट कर हत्या कर दी.

इसी तरह के और मामलों का इस रिपोर्ट में हवाला दिया गया है. जैसे कि जनवरी 2018 में 8 आरोपियों को जम्मू कश्मीर की पुलिस ने एक 8 साल की बच्ची का अपहरण, बलात्कार और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था.

लेकिन इस तरह से साम्प्रदायिक मामलों में इजाफ़ा आने की वजह खुद सत्ता से जुडी है. रिपोर्ट के मुताबिक, सत्ताधारी पार्टी भाजपा के नेताओं ने भड़काऊ और साम्प्रदायिक बयान दिए हैं.

7 फरवरी को भाजपा के सांसद विनय कटियार ने कहा था कि मुसलमानों का भारत में कोई काम नहीं. कटियार का कहना था कि मुसलमानों को बांग्लादेश और पाकिस्तान में जाकर रहना चाहिए.

US की रिपोर्ट ने तमाम उदाहरणों के ज़रिए ये बताया है कि भारत में 2018 में धार्मिक स्वतंत्रता का स्तर अच्छा नहीं था. उल्टा यहाँ पर हिन्दू संगठनों द्वारा अन्य धर्म के लोगों की हत्या की गयी है, खासकर मुसलमानों की.

साथ ही में भाजपा नेताओं पर साम्प्रदायिक राजनीति करने के आरोप भी लगे हैं. कहीं ना कहीं इन बढ़ती भीड़ हत्याओं का सबंध भाजपा की कट्टर हिंदुत्व की राजनीती से भी है.

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