मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर एक और झटका लगा है। मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर महीने में सकल घरलू उत्पाद यानी GDP ग्रोथ रेट घटकर 4.5 फीसदी हो गई है। पिछली तिमाही में यह 5 फीसदी थी।

ख़बरों के मुताबिक, यह पिछली 26 तिमाही में सबसे कम है। वित्त वर्ष 2018 की पहली तिमाही में ग्रोथ रेट 8 फीसदी, दूसरी तिमाही में 7 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी पर थी। वहीं वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में जीडीपी गिरकर 5 फीसदी पर आ गई थी। अब जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी पर आने के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरु हो गया है।

GDP गिरकर हुई 4.5%, पत्रकार बोले- PDP और TDP के बाद अब GDP ने भी मोदी का साथ छोड़ा

इस आर्थिक सुस्ती के लिए जहां लोग मोदी सरकार की नीतियों को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं वहीं मीडिया को भी इसके लिए दोषी बताया जा रहा है। पत्रकार विनोद कापड़ी ने ट्विटर के ज़रिए तंज़ कसते हुए कहा, “विकास दर: 4.5% । 6 साल में सबसे बदतर GDP । चलिए गाय – गौमूत्र , हिंदू मुसलमान पर बात करते हैं”।   

बता दें ​कि इन आंकड़ों के आने से पहले ही जीडीपी में गिरावट की आसंका जताई जा रही थी। इंडिया रेटिंग्स, क्रिसिल समेत कई एजेंसियों ने सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था की विकास दर में गिरावट का अनुमान जताया था।

इन  रेटिंग एजेंसियों का मानना था कि सुस्त डिमांड, निवेश में कमी और लिक्विडिटी की दिक्कत के चलते आर्थिक सुस्ती और गहरा सकती है। इंडिया रेटिंग्स और क्रिसिल ने सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। लेकिन ताज़ा आंकड़े रेटिंग एजेंसियों के अनुमान से भी ज़्यादा ख़राब हैं।

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