कोरोना महामारी के दौरान भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जाने वाले आवासीय कस्तूरबा बालिका विद्यालयों में 9 करोड रुपए का घोटाला सामने आने के बाद योगी सरकार पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

अब बिहार में एंबुलेंस घोटाला सामने आ गया है तो नीतीश भी सवालों के घेरे में हैं।

खबर के मुताबिक, बिहार के सीवान जिले में बीते साल 7 लाख की एंबुलेंस को 21 लाख रुपए में खरीदा गया है।

दावा किया जा रहा है कि इतने ऊंचे दामों पर एक नहीं बल्कि 7 एंबुलेंस खरीदी गई हैं। जबकि इन एंबुलेंस का इस्तेमाल भी नहीं किया गया है।

हैरानी जनक बात यह है कि सीवान बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का गृह जिला है।

भारत में फैली कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ज्यादातर राज्यों में स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की किल्लत हो गई थी। जिसमें से एंबुलेंस भी एक है। ज्यादातर कोरोना मरीजों को सिर्फ एंबुलेंस की वजह से ही इलाज नहीं मिल पाया।

जिसके कारण मौतों का आंकड़ा काफी बढ़ा। ऐसे ही कई मरीज बेसिक स्वास्थ्य सुविधाएं ना मिल पाने के कारण दुनिया छोड़कर चले गए।

इस संबंध में सीवान के जिलाधिकारी अमित कुमार पांडे ने 3 सदस्य कमेटी बनाकर कथित घोटाले की जांच शुरू करवा दी है। इस घोटाले की वजह से नीतीश सरकार की काफी किरकिरी हो रही है।

दरअसल कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान मरीजों के परिजन बुनियादी सुविधाओं के लिए दर-दर भटक रहे थे। कई बार एंबुलेंस की किल्लत का मुद्दा भी उठाया गया।

लेकिन नीतीश सरकार ने अपनी गैर जिम्मेदार प्रशासन पर पर्दा डालने की कोशिश की। हर बार यही दावा किया कि उनके राज्य में कोरोना मरीजों को हर सुविधा दी जा रही है।

एंबुलेंस घोटाला सामने आने के बाद नीतीश सरकार एक बार फिर विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है। इससे पहले भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कोरोना महामारी के दौरान बिहार में व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठते रहे हैं।

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