Deepika Rajawat
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ऋषिकेश शर्मा 

भाजपा और अमित शाह भले ही कल के वर्चुअल रैली को बिहार चुनाव से न जोड़ते हों, लेकिन समझदार जनता ने सब समझते हुए उन्हें निशाने पर ले लिया है। 72 हज़ार एलईडी स्क्रीन के जरिये ये डिजिटल रैली करके भाजपा ने इस मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात में अपनी ओर से चुनावी बिगूल फूंक दिया है।

भारत हर दिन नए रिकॉर्ड केसेज़ के साथ कोरोना संक्रमित देशों में पांचवें स्थान पर पहुँच गया है। भारत में हर दिन नए मामले और मौत रिकॉर्ड छू रहे हैं लेकिन भाजपा ने अपनी ओर से चुनावी तैयारी शुरू कर दी है।

बिहार के जाने माने पत्रकार पुष्यमित्र अपने फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं कि इस वर्चुअल रैली का कुल खर्च करीब 180 करोड़ रु है। ऐसे में जनता ने सवाल भी पूछना शुरू कर दिया है कि मजदूरों के लिए जब उनके पास पैसे नहीं थे तो चुनाव के लिए कहाँ से आ गए? पीएम केयर्स फंड की पारदर्शिता पर भी अब लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।

वकील दीपिका सिंह रजावत ने प्रधानमंत्री के जरिये भाजपा पर निशाने साधते हुए ट्वीटर पर लिखती हैं कि, “इटली मे जब 2,34,531 मरीज हुए वहां के PM दुख से रो पड़े थे। आज भारत में 2,36,184 पीड़ित हैं और हमारा वाला चुनाव की तैयारी में मस्त है”।

ट्वीटर पर एक अन्य यूज़र लिखती हैं कि, “इतिहास हमेशा याद रखेगा कि जब कोरोना वायरस की वजह से भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था जब पूरी तरह ढह गया था तब हमारा चाणक्य चुनावी रैलियाँ कर रहा था। अमित शाह आप भारत की राजनीति के लिए एक अपमान हैं”।

भाजपा के इस वर्चुअल रैली पर रवि नायर नाम के एक यूज़र लिखते हैं, कि “जब भारत में बेरोजगारी अपने सबसे सबसे चरम पर था, जब अर्थव्यवस्था सबसे ज़्यादा गिरी हुई थी, जब प्रवासी मजदूर और उनका परिवार एक वक्त के भोजन के लिए हर दिन संघर्ष कर रहा था…भाजपा ने 72 हज़ार स्क्रीन लगाकर बिहार में अपना चुनावी प्रचार अभियान शुरू किया था”।

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