भाजपा शासित राज्यों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन और मेडिकल सुविधाओं की कमी होने की वजह से लोग मर रहे हैं। यह सिलसिला बीते महीने से ही जारी है। जोकि थमने का नाम नहीं ले रहा है।

ऐसे में बिहार सरकार द्वारा लोगों की मदद के लिए आगे आने वाले राजनेताओं पर कड़ी कार्यवाही की जा रही है।

खबर के मुताबिक, जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव को कोविड-19 के उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।

पूर्व सांसद पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद बिहार के नीतीश सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है। बताया जाता है कि बिहार में एनडीए के सहयोगी दल के नेताओं ने भी इस मामले में गुस्सा जाहिर किया है।

खबर के मुताबिक, पप्पू यादव की गिरफ्तारी का विरोध करने वाले नेताओं के नाम है जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी।

बिहार के पूर्व और मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इस मामले में कहा है कि दिन रात जनहित में काम करने वाले किसी भी जनप्रतिनिधि को उसके एवज में गिरफ्तार किया जाना मानवता के लिए खतरनाक है।

ऐसे मामलों की पहले न्यायिक जाँच हो तब ही कोई कारवाई होनी चाहिए नहीं तो जन आक्रोश होना लाज़मी है।

वहीँ वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी ने भी इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि जनता का सेवा ही धर्म होना चाहिए। सरकार को जनप्रतिनिधि सामाजिक संस्था और कार्यकर्ता को आमजन की मदद के लिए प्रेरित करना चाहिए।

जनप्रतिनिधि को भी कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन करते हुए काम करने चाहिए। ऐसे समय में सेवा में लगे पप्पू यादव को गिरफ्तार किया जाना और असंवेदनशील है।

दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और सन ऑफ मल्लाह मुकेश साहनी की इस प्रतिक्रिया के मायने सिर्फ क्षणिक नहीं है। ये वही दो सहयोगी हैं जिनके दम पर बिहार में एनडीए की सरकार चल रही है।

अगर इस तरह की प्रतिक्रिया देने से कोई विवाद बढ़ता है तो समर्थन खींचने की स्थिति में बिहार में एनडीए की सरकार गिर जाएगी।

आपको बता दें कि हाल ही में पूर्व सांसद पप्पू यादव ने भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी की पोल खोली थी।

जिसमें यह सामने आया था कि उन्होंने लगभग 40 एंबुलेंस को एक जगह पर छुपाया हुआ था। जिसके बाद भाजपा नेता ने पप्पू यादव को एंबुलेंस चलाने की चुनौती भी दी थी।

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