बिहार चुनाव नतीजे पल-पल बदल रहे हैं मगर ईवीएम खुलते ही एनडीए के पक्ष में माहौल बनना शुरू हो चुका है।
पोस्टल बैलट में 1 घंटे के अंदर ही बहुमत पा जाने वाले महागठबंधन को एनडीए से कड़ी टक्कर मिल रही है और अधिकतर सीटों पर प्रत्याशी पीछे चल रहे हैं।

दरअसल इसमें हैरानी की बात यह है कि पोस्टल बैलट का वोट अधिकतर सत्ता पक्ष के साथ होता है और आरजेडी के पक्ष में तो बेहद ही कम होता है क्योंकि माना जाता है सरकारी नौकरियों में अधिकतर सवर्ण तबके के लोग हैं जो बीजेपी और नीतीश के वोटर हैं।

पोस्टल बैलट के मतगणना में आरजेडी महागठबंधन का बहुमत पा जाना इस बात का संकेत था कि इस महागठबंधन को डेढ़ सौ से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं क्योंकि सवर्ण वर्चस्व वाला नौकरशाह तबका अगर तेजस्वी के नेतृत्व को वोट दे रहा था तो मुस्लिम यादव समेत तमाम पिछड़े तबके का वोट पाने की संभावना ज्यादा दिख रही थी।

अब अचानक से बदले इस रुझान को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं।

शुरुआती दौर में ही जश्न मनाने वाले महागठबंधन समर्थकों के पास अब नैतिक ताकत नहीं है कि ईवीएम पर सवाल उठा सकें।

हालांकि जब महागठबंधन बहुमत पा रहा था तब वह भी कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने एक टीवी डिबेट में स्पष्ट कर दिया कि अगर हम बहुमत भी पा जाएंगे तब भी ईवीएम पर सवाल करते रहेंगे।

ईवीएम खुलने के बाद एनडीए के पक्ष में जाते हुए परिणाम का स्पष्ट कारण नहीं ढूंढा जा सकता है लेकिन तमाम सवालों और अटकलों पर विराम नहीं लगाया जा सकता।

एक अन्य कारण जो नतीजों में दिखाई दे रहा है कि 70 विधानसभा सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस बेहद कमजोर प्रदर्शन कर रही है।

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