बिहार की नीतीश कुमार की सरकार फर्जी आंकड़ों के फेर में फंस चुकी है। बिहार में कोरोना संक्रमण से कितने लोगों की मौतें हुई है, इसे लेकर सरकारी आंकड़े बदले जा रहे हैं।

बिहार सरकार ने पहले कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या 5424 बताई थी लेकिन बढ़ते दबाव के सरकार ने स्वीकार किया है कि वो आंकड़े सही नहीं थे। बिहार में कोरोना से 5424 नहीं बल्कि 9375 लोगों की मौत हुई है।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार ने 3951 मौतें छुपाने की कोशिश की है।

आंकड़ों की इस हेराफेरी के पीछे की वजह साफ है कि जिस तरह से बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की वजह से तड़प तड़प कर हज़ारों लोगों की मौत हो गई, सरकार अपनी इन नाकामियों को ढंकने की कोशिश कर रही थी।

दैनिक भास्कर ने साफ तौर पर अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सिस्टम ने दबा कर रखा था मौत का आंकड़ा।

बिहार की नीतीश सरकार के फर्जीवाड़े को इस तरह से समझा जा सकता है। सरकार ने 08 जून को कोरोना से मरने वालों की मौत का आंकड़ा 1229 बताया लेकिन 24 घण्टे में ही आंकड़े बदल गए और यह संख्या 2303 हो गई।

सरकार ने ये हेराफेरी न सिर्फ पटना में बल्कि राज्य के हर जिले में की। आंकड़ों के उजागर होते ही यह खुलासा हो गया कि 3951 लोगों की मौत तो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है ही नहीं!

रिपोर्ट के सामने आते ही बिहार की सियासत गर्मा गई है।विपक्ष हमलावर हो चुका है। राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार ही फर्जी है तो उनके आंकड़े भी तो फर्जी ही होंगे !

बताते चलें कि कोरोना की दूसरी लहर जब अपने चरम सीमा पर था तब ऐसे ही फर्जी आंकड़ों के भरोसे नीतीश सरकार ने खूब वाहवाही बटोरी थी।

झूठे आंकड़े दिखा कर बिहार कोरोना से मरने वालों की संख्या के हिसाब से देश में 16वें नम्बर पर था लेकिन जैसे ही सही आंकड़े सामने आए, बिहार 12वें नम्बर पर पहुंच गया।

नीतीश सरकार के इन फर्जी आंकड़ों की बदौलत बिहार देश का ऐसा प्रथम प्रदेश बन गया है, जहां पर 72% मौतों के आंकड़ों को शामिल ही नहीं किया गया है।

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