विपक्षी दलों का आरोप है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत ऐसी स्थिति में पहुंच गया है। जहां ना आज देश में रोजगार बचा है, ना महिलाएं सुरक्षित हैं और ना ही न्यायपालिका निष्पक्ष है। गरीबी का स्तर बढ़ता जा रहा है। सरकारी संस्थानों का निजीकरण किया जा रहा है।
देश की कमान पूंजीपतियों के हाथों सौंप दी गई है। भाजपा के राज में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया बिक चुका है। भाजपा भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीनने में लगी हुई है। गरीबों की आवाज़ को दबाया जा रहा है।
अगर देश के लोकतंत्र को बचाना है कि भाजपा को सत्ता से बाहर करना जरूरी है। क्यूंकि भाजपा सत्ता का दुरूपयोग कर देश को बर्बाद में लगी है।
इस मामले में देश के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मोदी सरकार की तानशाही के खिलाफ देश की जनता को जागरूक किया है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि “अगर बिहार और देश को महिला, दलित और अल्पसंख्यक पर अत्याचारों से बचाना है, अगर किसानों को अडानी, अंबानी से बचाना है, अगर युवाओं को नौकरियां दिलवानी है; अगर न्यायपालिका, इलेक्शन कमिशन, मीडिया को सुधारना है, अगर लोकतंत्र बचाना है; तो इसकी शुरुआत बिहार में भाजपा/जेडीयू की हार से होगी।”
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इससे पहले भी कई मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरा है। जिसके चलते वह अक्सर भाजपा के निशाने पर रहते हैं।
गौरतलब है कि बहुत जल्द बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। एक बार फिर भाजपा और जदयू गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे। विपक्षी दलों ने एनडीए के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
बिहार में भाजपा विकास के मुद्दे पर जनता को बेवकूफ बना रही है। नीतीश सरकार ने विकास के नाम पर राज्य में लूट मचाई है। बिहार में प्रवासी मजदूर बेहाल हैं। इस चुनाव में अपराधियों को टिकट बाँट रही है।
अगर बिहार और देश को महिला, दलित और अल्पसंख्यक पर अत्याचारों से बचाना है; अगर किसानों को अडानी, अंबानी से बचाना है; अगर युवाओं को नौकरियां दिलवानी है; अगर न्यायपालिका, इलेक्शन कमिशन, मीडिया को सुधारना है; अगर लोकतंत्र बचाना है; तो इसकी शुरुआत बिहार में भाजपा/जेडीयू की हार से होगी
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) October 9, 2020