साल 2012 में दिल्ली के निर्भया कांड को लोग आज तक भुला नहीं पाए हैं। उस दौरान तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किए थे।

खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान लोगों से अपील की थी कि वह वोट देने के दौरान निर्भया कांड को याद रखें।

आज भाजपा शासित राज्यों में हर दिन गैंगरेप और हत्या की घटनाएं घट रही है। लेकिन सरकार चुप्पी साधे तमाशा देखने का काम करती रही है।

हाल ही में घटे हाथरस कांड के बाद दिल्ली में 9 साल की दलित बच्ची भी गैंगरेप और हत्या की शिकार हुई है।

इस मामले में बिहार के प्रमुख विपक्षी दल राजद ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि

‘चुनाव पूर्व दलितों के पैर धोने की नौटंकी करने वाले दलित लड़कियों के गैंगरेप पर चुप क्यों है? निर्भया कांड में गंदी राजनीति करने वाले दलित लड़की के रेप पर चुप क्यों है? आरएसएस और बीजेपी के लोग गुंडे, अपराधियों और बलात्कारियों के संरक्षक और संचालक है।’

राजद से पहले भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ने भी इस घटना पर भाजपा को घेरा है। उन्होंने दिल्ली पहुंच कर पीड़ित परिवार के साथ मुलाकात भी की है।

गौरतलब है कि जब भी देश या किसी राज्य में चुनाव होते हैं। तो भाजपा दलितों के घर जाकर खाना खाती है।

दलित महिलाओं के पैरों को साफ करने का ड्रामा करती है। लेकिन चुनाव खत्म होते ही सरकार के लिए दलितों का कोई अस्तित्व नहीं रहता।

गौरतलब है कि भाजपा और आरएसएस के नेता दलित महिलाओं के साथ हैवानियत को अंजाम देने वाले उच्च जाति के लोगों को बचाने का काम करते आए हैं।

विपक्षी दलों द्वारा कई बार आरोप लगाए जा चुके हैं कि भाजपा चुनावों के दौरान तत्वों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती है। असल में भाजपा दलित विरोधी सरकार है।

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