बिहार की राजनीति में एक बार फिर से बवाल शुरु हो गया है। राज्य की नीतीश कुमार की सरकार अब लगातार बढ़ते भ्रष्टाचार और तानाशाही के आरोपों से घिरती जा रही है।
दिलचस्प बात यह है कि ये आरोप विपक्ष की ओर से नहीं बल्कि खुद सत्ता पक्ष की ओर से लगाया जा रहा है। सरकार के मंत्री और भाजपा, जदयू के विधायक अब मुखर होकर सरकार की खिलाफत कर रहे हैं।
कल ही राज्य के मंत्री मदन सहनी ने अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद विरोध के स्वर और ज्यादा बुलंद होने शुरु हो गए हैं।
भाजपा विधायकों ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और हरिभूषण ठाकुर ने राज्य सरकार पर जमकर प्रहार किया है।
बिहार के बाढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि बिहार में हमारी पार्टी के 80 प्रतिशत मंत्री घूसखोर हो चुके हैं।
जून के महीने में हुए ट्रांसफर पोस्टिंग में दबा दबाकर पैसा लिया गया है। वहीं जदयू के मंत्री नीतीश कुमार से डरते हैं, इसलिए जदयू के मंत्रियों ने कम घूस कमाया है।
ज्ञानू ने कहा कि जदयू के एक मंत्री के बारे में मैं जानता हूं जो दूसरी पार्टी से आए हुए हैं, उनका विभाग अभियंताओं से जुड़ा हुआ है, उसने खूब माल बनाया है।
वहीं अपनी पार्टी के मंत्रियों पर ज्ञानू ने कहा कि भाजपा के मंत्रियों ने बुला बुलाकर अफसरों से पोस्टिंग और ट्रांसफर के नाम पर पैसा लिया है।
ज्ञानू ने कहा कि अगर सीएम नीतीश कुमार इन भाजपाई मंत्रियों के घरों में छापेमारी करवा दें तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी।
वहीं भाजपा के एक दूसरे विधायक हरिभूषण ठाकुर बचैल ने कहा कि हमारे राज्य में ब्लाॅक स्तर तक भ्रष्टाचार है।
शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती। अधिकारियों का मनोबल इतना बढ़ा हुआ है कि कोई अफसर विधायकों की बात तक नहीं सुनता।
वहीं राज्य सरकार के मंत्री मदन सहनी ने भी इस्तीफा देते वक्त कहा कि राज्य के अफसर जमकर पैसा बना रहे हैं. इन अफसरों की संपत्ति की जांच करवाई जानी चाहिए।
वहीं इस मामले पर राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार में बिना आरसीपी टैक्स दिए हुए कोई काम नहीं होता।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुंह में दही जमाए हुए बैठे हैं। नीतीश कुमार को अब तो अपनी अंतरात्मा को जगाना चाहिए। तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि गिरी हुई सरकार का गिरना तय है।