बिहार में बीते दिनों से सियासी उठापटक का दौर चल रहा है। इसी बीच जनता दल यूनाइटेड के नेता और राज्य समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी ने इस्तीफा देकर नीतीश सरकार को बड़ा झटका दिया है।
बताया जाता है कि इस्तीफा देने से काफी वक़्त पहले जदयू नेता मदन साहनी राज्य में चल रही नौकरशाही से काफी नाराज चल रहे थे।
जदयू नेता के इस्तीफा देने के बाद नीतीश सरकार एक बार फिर विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है।
इस मामले में मीडिया से बातचीत करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भ्रष्टाचार की भीष्म पितामह है। वह राज्य के एक थके हुए मुख्यमंत्री हैं।
बिहार की जनता ने उन्हें जनादेश के साथ नहीं जिताया। लेकिन चुनाव आयोग की वजह से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद पर बैठे हुए हैं। ये गिरी हुई सरकार है, जिसका गिरना तय है।
हमेशा की तरह तेजस्वी यादव ने इस बार भी यह कहा है कि एनडीए ने बिहार में चोर दरवाजे के जरिए एंट्री मार कर सरकार बनाई है।
पूरे बिहार में अफसरशाही चल रही है। आप बताइए कि जनता दल यूनाइटेड के मंत्री जो की अति पिछड़ा समाज से आते हैं।
हैरानी जनक बात है कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव उनका फोन तक नहीं उठाते हैं। कोई चपड़ासी तक उनकी बात नहीं सुनता है। इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
इस बात को समझने की जरूरत है भाजपा के विधायक उनके ही मंत्री पर आरोप लगाते हैं।
बिहार में भ्रष्टाचार इस वक्त चरम सीमा पर पहुंच चुका है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है।
सरकारी नौकरी के लिए होने वाली परीक्षाओं में अभिनेत्रियां एग्जाम पास कर रही हैं। नीतीश सरकार ने राज्य को तमाशा बनाकर रख दिया।
जदयू नेता मदन साहनी ने इस्तीफा दिया है। उन्होंने इस्तीफे के बाद पार्टी के कई नेताओं की संपत्तियों की जांच कराने की बात कही है।
खास तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी नेताओं की संपत्तियों की जांच कराए जाने की मांग की गई है। इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है। अब तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी अंतरात्मा को जगाने की जरूरत है।