बिहार के गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे वशिष्ठ नारायण ने पटना के पीएमसीएच में अंतिम सांस ली। वे काफी समय से सिजोफ्रेनिया बीमारी से पीड़ित थे।

वशिष्ठ नारायण ने आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती दी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक जताया है। लेकिन आपको बता दे कि उनके निधन के बाद भी बेशर्म सरकारी सिस्टम ने उनके पार्थिव शरीर के साथ जो व्यवहार किया वह बतलाता है कि नितीश कुमार के राज में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हस्र है।

बेहद शर्मनाक तो यह है कि एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके निधन पर शोक जताते थक नहीं रहे थे तो दूसरी तरफ बेशर्म सिस्टम शव को ले जाने के लिए एक एंबुलेंस तक भी उपलब्ध नहीं करा पा रही थी। वशिष्ठ नारायण सिंह का पार्थिव शरीर अस्पताल परिसर में करीब 1.30 घंटे तक स्ट्रेचर पर रखा रहा।

अस्पताल प्रशासन की तरफ से एंबुलेस नहीं मुहैया कराई गई। पार्थिव देह के साथ वशिष्ठ नारायण के भाई काफी देर तक अस्पताल के बाहर खड़े रहे। उन्होंने बताया कि एंबुलेंस वाले ने पार्थिव शरीर भोजपुर ले जाने के लिए 5 हजार रुपए मांगे।

आपको बता दे की वशिष्ठ नारायण सिंह पटना साइंस कॉलेज पढ़ाई करने के बाद कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी गए. जहां से उन्होंने पीएचडी की डिग्री ली और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। नासा में भी काम किया। बाद में भारत लौटकर उन्होंने आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुंबई और आईएसआई कोलकाता में नौकरी भी किया।

नीतीश सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं की इस शर्मसार करतूत पर रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर शोक जताते हुए नितीश कुमार को संवेंदनहीन सीएम कहा है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा- ‘असहनीय! महान गणितज्ञ वशिष्ठ बाबू के निधन पर घड़ियाली आँसू बहाने वाले ‘सीएम नितीश’ जी स्वयं इतने संवेदनहीन हो चुके हैं । उन्हें स्वास्थ्य विभाग व PMCH की कुव्यवस्था से क्या मतलब है। इससे ज्यादा बेबस और लाचार सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था कहीं नहीं होगी।

कुशवाहा ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा- ‘कभी आइंस्टीन को चुनौती देने वाले बिहार के लाल, महान गणितज्ञ श्री वशिष्ठ नारायण सिंह जी के निधन की खबर दुखदायी है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और परिजनों के लिए संबल की कामना करता हूँ।

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