मोदी सरकार जहां भेदभाव का शिकार दूसरे देश के लोगों को भारत में बसाने की बात कर रही है, वहीं भारत में उत्पीड़न का शिकार दलित समाज के एक शख़्स ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गुहार लगाई है कि उसे दूसरे देश भेज दिया जाए।
ऊना में दलित उत्पीड़न के शिकार वशराम सरवैया ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर कहा है कि उन्हें और उनके भाई को ऐसे देश भेज दिया जाए, जहां उन्हें जातिय भेदभाव का सामना न करना पड़े। बता दें कि 11 जुलाई 2016 को गुजरात के ऊना में वशराम सरवैया समेत चार दलित समाज के लोगों की गोहत्या के शक में बेरहमी से पिटाई की गई थी और उन्हें अपमानित किया गया था।
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न्यूज़ वेबसाइट ‘द क्विंट’ ने जब वशराम ने पूछा कि उन्होंने राष्ट्रपति से उन्हें दूसरे देश भेजने की गुहार क्यों लगाई। इसपर वशराम ने कहा, “हमें भारत में नागरिक नहीं माना जाता है। दलितों के साथ हिंदू समुदाय में भेदभाव किया जाता है। इसलिए हम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अनुरोध करते हैं कि वे हमें एक अलग देश में भेजें, जहां हमें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े।
इस दौरान जब वशराम से नागरिकता कानून को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वो इसका विरोध करते हैं। लेकिन अगर सरकार अधिनियम को लागू करना चाहती है, तो वो हमें ऐसे देश भेज दे जहां दलितों को समान नागरिक माना जाए। उन्होंने बताया कि किस तरह उनके साथ भेदभाव किया गया।
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वशराम ने कहा कि 2016 में जिन लोगों ने उन्हें पीटा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। अपराधी जमानत पर बाहर हैं। सरकार ने उन्हें कृषि ज़मीन देने का वादा किया गया था, लेकिन उनमें से कुछ भी नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने उनसे नौकरी देने का वादा भी किया था, जिसे पूरा नहीं किया गया।