2021 का जून का महीना आ चुका है लेकिन भाजपा ने अभी तक अपनी साल 2020 की सालाना आय की रिपोर्ट जमा नहीं की है।
देश की सबसे बड़ी जनाधार वाली पार्टी होने के बाद भी भाजपा ने अब तक किसी भी तरह की कोई रिपोर्ट जमा नहीं की है। गौर करने वाली बात ये है कि इसपर निर्वाचन आयोग ने कोई टिप्पणी, नोटिस, कार्यवाही आदि नहीं की है।
अब तक केवल 4 ही पंजीकृत पार्टियों ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट जमा करी हैं –
बहुजन समाज पार्टी (5 जनवरी, 2021)
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्कसिस्ट ) (18 फरवरी, 2021)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (3 फरवरी, 2021)
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (5 जनवरी, 2021)
साल 2018 में द वायर में प्रकाशित एक रिपोर्ट ने भाजपा को भारत की सबसे अमीर राजनैतिक पार्टी बताया था।
वर्ष 2016-17 में भाजपा की आय 1034.27 करोड़ थी जो कि कुल राशि का 66.34 फीसदी हिस्सा था।
वहीं 10 जनवरी 2020 को जनसत्ता में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, भाजपा की आय एक साल में दोगुनी होकर 2410 करोड़ हो चुकी थी।
भाजपा ने हमेशा से अपनी आय का प्रमुख स्रोत लोगों से मिलने वाले योगदान और चंदे को ही बताया है।
एडीआर यानि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक भारतीय राजनैतिक पार्टियों का आय संबंधी जानकारियां जारी करने की प्रक्रिया हमेशा ढीली ही रही है।
वहीं अपने नाम सहित चंदा देने वालों की संख्या बिना नाम जाहिर किए चंदा देने वालों से बहुत कम है। इसलिए कहीं ना कहीं बड़ी राशि देने वालों पहचान कभी जाहिर नहीं होती है।
बहरहाल लगभग सभी राष्ट्रीय बड़ी पार्टियों ने अपना ब्यौरा दे दिया है। साल 1984 में 2 सीटों के साथ लोकसभा चुनाव में शुरुआत करने वाली भाजपा 2019 में 303 सीटों के साथ सरकार बनाने वाली पार्टी है।
भारत के 16 राज्यों में भाजपा और भाजपा के समर्थन से सरकारें चल रही हैं। हर जिले, हर ब्लॉक, हर गली-मुहल्ले में भाजपा के कार्यकर्ता हैं।
लोकसभा से लेकर पंचायत चुनावों तक में भाजपा प्रत्याशी पूरे ताम-झाम से प्रचार करते नजर आते हैं। इन सभी कार्यों में अच्छी खासी धनराशि लगती है।
भाजपा ने 2021 के पूरे पांच महीने बीतने के बाद भी अब तक अपनी रिपोर्ट जमा ना करके अपने ऊपर उठने वाले सवालों को मौका दिया है। साथ ही निर्वाचन आयोग की इस मामले में चुप्पी के कारण उस पर सवाल उठना लाजमी है।
लोगों के मन में निर्वाचन आयोग के भाजपा को रियायत देने की बात आना भी स्वाभाविक है। भाजपा के सत्ता में होने से कहीं ना कहीं सभी संस्थाएं उनकी मुट्ठी में ही है।
एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि उन्होंने भाजपा के अब तक रिपोर्ट जमा ना करने पर आरटीआई दायर कर निर्वाचन आयोग से सवाल पूछे हैं।
● क्या भाजपा ने अपनी वार्षिक आय की रिपोर्ट जमा कर दी है?
● अगर नहीं तो उनके खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा है?
● अगर हां, तो मुझे उनकी वार्षिक आय की रिपोर्ट की एक प्रति प्रेषित की जाए।
साकेत गोखले ने अंत में लिखा है कि अगर निर्वाचन आयोग को भाजपा का समर्थक बनकर रहना है तो इस बात को सार्वजनिक रूप स्वीकार करना होगा।