2014 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप पीएम मोदी ने जनता से वोट के बदले जितने भी वादे किए थे वह अब एक एक कर प्रमाणिक रूप से भी जुमले साबित हो रहें हैं।

2014 में इन्हीं वादों में से एक भारत की सबसे बड़ी नदी गंगा की सफाई को लेकर किया था जो अब गंगा नदी जैविक जल गुणवत्ता आकलन (2017-18)’ की रिपोर्ट के अनुसार जुमला सिद्ध हुआ है। यह रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी की गई है।

दरअसल इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गंगा नदी के गंगा बहाव वाले 41 स्थानों में से करीब 37 पर इस वर्ष मानसून से पहले जल प्रदूषण मध्यम से गंभीर श्रेणी में रहा है।

गंगा सफाई के लिए 160 दिन से अनशन कर रहे संत गोपालदास हुए लापता, आखिरी चिट्ठी में लिखा- मोदी सरकार से खतरा है

रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून से पहले गंगा अपने बहाव वाले 41 स्थानों में से केवल 4 पर ही स्वच्छ थी जो की मानसून के बाद एक स्थान पर ही स्वच्छ पाई गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून के बाद गंगा नदी सिर्फ हरिद्वार में ही स्वच्छ थी।

चूंकि 2014 में गंगा में बड़ते प्रदूषण को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रचार के दौरान जमकर उठाया था इसलिए अब यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री के पूरे होते पांच सालों के कार्यकाल के बाद अब मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।

प्रधानमंत्री पद पर बैठने के बाद पीएम मोदी द्वारा गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगे जैसी बड़ी और खर्चिली योजनाएं भी चलाई गई थी जिसके बाद भी गंगा के प्रदूषण अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here