युवा नेता जिग्नेश मेवाणी ने आर्थिक रुप से कमज़ोर सवर्णों को 10 फ़ीसदी आरक्षण के फ़ैसले पर अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की है। मोदी सरकार पर वार करते हुए मेवाणी ने इसे “एक और चुनावी जुमला” क़रार दिया है।

मेवाणी का कहना है कि “संवैधानिक तौर पर ये बात मुमकिन नहीं है। जब ये सुप्रीम कोर्ट में जाएगा तो टिक नहीं पाएगा। लेकिन सरकार ने सवर्णों को ख़ुश करने के लिए ये लालीपॉप थमा दिया है।

अगर सरकार का ये फ़ैसला कोर्ट में ख़ारिज हो जाता है तो सरकार कम से कम इन तबकों से कह सकेगी कि वो इनके लिए आरक्षण लेकर आई थी लेकिन कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है।“ जिग्नेश का कहना है कि न मैं सरकार के इस एलान का समर्थन करता हूँ और न ही विरोध करता हूँ।

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ज़ाहिर है सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण का दायरा 50 फ़ीसदी तक ही रखा है। इससे ज़्यादा कोई सरकार आरक्षण देती है तो उसको संविधान के अनुच्छेद 9 में संशोधन करना पड़ेगा। इतना ही नहीं इस संशोधन को कोर्ट में चुनौती भी दी जा सकती है।

मायावती ने भी बताया था चुनावी जुमला-

ग़रीब सवर्णों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फ़ैसले को बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनावी स्टंट बताया है। मायावती का कहना है कि,

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“लोकसभा चुनाव से पहले लिया गया ये फ़ैसला हमें सही नीयत से लिया गया फ़ैसला नहीं लगता है। ये चुनावी स्टंट लगता है, राजनीतिक छलावा लगता है। अच्छा होता अगर बीजेपी ये फ़ैसला अपना कार्यकाल ख़त्म होने से पहले नहीं बल्कि बहुत पहले ले लेती”

मायावती ने ये भी कहा कि SC-ST, OBC को मिलने वाले 50 फ़ीसदी आरक्षण की समीक्षा की ज़रूरत है। इन तबकों को वहाँ भी आरक्षण मिले जहाँ अभी नहीं मिलता है।

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