मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के उस बयान को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसा बयान दिया जिससे उनका ‘सबका साथ सबका विकास’ नाम का नारा धरा का धरा रह गया।

कमलनाथ ने एक वीडियो में चुनावी समीकरण की बात करते हुए कहा था, “अगर 90 फीसदी मुसलमान कांग्रेस को वोट नहीं देते हैं तो उन्हें नुकसान हो सकता है।”

योगी आदित्यनाथ ने भोपाल में एक सभा के दौरान कमलनाथ के इसी बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि, “आपको अली मुबारक हो, हमारे लिए बजरंगबली ही काफी हैं।”

योगी के बयान से साफ़ हो गया कि एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी का चुनावी मुद्दा ‘विकास’ नहीं बल्कि, मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करना है। यह कितना शर्मनाक है कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश जहाँ मुसलमानों की एक बड़ी जनसंख्या रहती है।

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वहां का मुख्यमंत्री एक सभ्य भाषा की सभी सीमाएं लाँघ कर ‘अली’ और ‘बजरंगबली’ में देश को बांट रहे हैं। यह कितना शर्मनाक है एक मुख्यमंत्री के तौर पर ऐसा बोलना।

वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान श्मशान और कब्रिस्तान की बात करते हैं। यानि साफ़ था कि श्मशान वाले बीजेपी के साथ हैं और कब्रिस्तान कहीं और जायें।

लेकिन जब पीएम मोदी की छवि ही गुजरात मॉडल के विकास पुरुष के तौर पर जानी जाती है तो ऐसे में वो किस ‘विकास’ की बात करते हैं।

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क्या पीएम के न्यू इंडिया में सिर्फ ‘श्मशान’ के लिए जगह होगी? या फिर न्यू इंडिया में सिर्फ मंदिर-मस्जिद की राजनीति होगी उसमें विकास का तानाबाना नदारद होगा? इसका जवाब पीएम मोदी और योगी दोनों को जनता के अदालत में देना होगा।

सवाल पैदा होता है कि जब देश का प्रधानमंत्री ही श्मशान और कब्रिस्तान की बात करेगा और उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री अली-बजरंगबली की बात करेगा तो फिर विकास कौन करेगा?

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