Farmers Suicide
फोटो साभार- The Hindu Businessline

लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की बदहाली की तस्वीरें देशभर से अा रही हैं, कहीं मजदूर भूखे प्यासे पैदल चल रहे हैं तो कहीं बसों से कुचले जा रहे हैं और कहीं ट्रेन की पटरी पर कटकर जान जान गवां रहे हैं। मजदूरों के हालात की तरह ही किसानों के हालात भी हैं। वो भी बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं।

लॉक डाउन की शुरुआती दिनों में खेतों में नहीं जाने दिया गया तैयार हुई फसल को काटने नहीं दिया गया और बाद में जब परमिशन मिली तो तमाम फसलों और उपज के लिए बाजार में कोई जगह नहीं थी। उपज औने पौने दामों में बेचने को मजबूर तमाम किसान इतने परेशान हैं कि आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा रहे हैं।

द हिंदू बिजनेस लाइन की खबर के मुताबिक, मार्च-अप्रैल में सिर्फ मराठवाड़ा इलाके में 109 किसानों ने आत्महत्या कर ली। यानी लगभग 2 किसानों ने रोजाना आत्महत्या का रास्ता चुना। मराठवाड़ा क्षेत्र के सभी 8 जिलों में आत्महत्या की इसी तरह से खबरें आ रही हैं।

किसानों के लिए बनी शेतकरी संगठन के प्रेसिडेंट अनिल कहते हैं ‘आत्महत्या के ये आंकड़े और बढ़ सकते हैं । कोरोना लॉकडाउन की वजह से अगले एक-दो साल तक खेती किसानी का संकट बढ़ता चला जाएगा और किसान ज्यादा अवसाद में जाते रहेंगे। उगाए गए उत्पादों के लिए मार्केट नहीं है जो कुछ उगाया जा रहा है उसका 10 परसेंट भी नहीं बिक रहा है । यहां तक कि किसान अब बुवाई करने के लिए भी पैसे की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं।’

दूसरी तरफ सरकार ने 20 लाख करोड़ के भारी-भरकम राहत पैकेज की घोषणा कर दी है तमाम मीडिया रिपोर्ट बता रही हैं कि अंबानी अडानी जैसे उद्योगपतियों को हजारों करोड़ का इसमें फायदा भी मिलने वाला है। लेकिन इस भारी-भरकम घोषणा के अंदर किसानों को क्या रियायत दी जाएगी, उसका कोई खास जिक्र नहीं है।

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