जिस गुजरात के विकास मॉडल को दिखाकर नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बने, उस गुजरात में मज़दूरों और कामगारों के पास खाने तक के पैसे नहीं हैं। हालात ये हैं कि सूबे में परेशान मजदूर खुदकुशी करने को मजबूर हैं। एक हफ्ते के अंदर कई मज़दूरों की खुदकुशी की खबरें सामने आ चुकी हैं।
ताज़ा मामला अहमदाबाद से सामने आया है। जहां एक दिहाड़ी मजदूर कानुभाई ने ज़हर पीकर अपनी जान दे दी। बताया जा रहा है कानुभाई लॉकडाउन के बाद बेरोजगार हो गए थे। नौबत ये आ गई थी उनके पास खाने तक के पैसे नहीं बचे थे। जिससे परेशान होकर उन्होंने मौत को गले लगा लिया। बता दें कि इससे पहले 17 मार्च को सूरत के तीन मज़दूरों ने लॉकडाउन से परेशान होकर खुदकुशी कर ली थी।
जानकारी के मुताबिक, लॉकडाउन के चलते बेरोजगार हुए कानुभाई काम की तलाश कर रहे थे। जब उन्हें कोई काम नहीं मिला तो वो अपनी बहन के पास पहुंचे और उससे बेचने के लिए फल मांगे। कानुभाई ने बहन से कहा कि उसके पास कुछ भी पैसे नहीं है, उसे फल दे दो ताकि वो इसे बेचकर कुछ पैसे कमा ले। लेकिन बहन ने अपनी मजबूरी बताते हुए फल देने से मना कर दिया।
जिसके बाद कानुभाई अपने छोटे भाई के पास पहुंचे और उससे फल की दुकान लगाने के लिए एक हज़ार रुपए मांगे। लेकिन छोटे भाई ने कहा कि भय्या आपके पास हेल्थ कार्ड नहीं है, इसलिए आप फल की दुकान नहीं लगा सकते। जब कानुभाई को कहीं से मदद नहीं मिली तो उन्होंने मजबूरन खुदकुशी करने का फैसला किया।
उन्होंने बुधवार को जहर पी लिया। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां गुरुवार को उनको मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक़, कानुभाई बेरोज़गार थे और लॉकडाउन के चलते बेहद तनाव में थे। जिसके चलते उन्होंने ऐसा कदम उठाया। कानुभाई अहमदाबाद के गोमतीपुरा में अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ एक झोपड़ी में रहते थे।