हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक के साथ हुई हैवानियत से देशभर में आक्रोश का माहौल है। निर्भया कांड की यादें ताज़ा करने वाली इस वारदात ने एक बार फिर लोगों को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है। लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी पुलिस और प्रशासन की तरफ से लोगों को दुष्कर्म का विरोध करने से रोका जा रहा है।

दरअसल, राजधानी दिल्ली में अनु दुबे नाम की एक छात्रा हैदराबाद की घटना का विरोध करने संसद भवन पहुंची थी। वह संसद भवन के बाहर एक तख्ती हाथ में लिए खड़ी थी, जिस पर लिखा था, ‘जो करना है कर लो, अब डरने का मन नहीं करता।’

वह अपनी इस तख्ती के ज़रिए सरकार और प्रशासन को उस सच्चाई से रूबरू कराने आई थी, जिससे उसने मुंह मोड़ रखा है। अनु दुबे की तख्ती में लिखे शब्दों में कितना दर्द छुपा है। वह महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार की घटनाओं से कितनी पीड़ित है, ये समझने के बजाए दिल्ली पुलिस ने उसे ही खदेड़ना शुरु कर दिया। जब पुलिस की चेतावनी के बावजूद अनु ने अपना प्रदर्शन नहीं ख़त्म किया तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

अनु को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस उसे थाने ले गई जहां कथित तौर पर उसके साथ महिला पुलिसकर्मियों ने मारपीट की। अनु ने एबीपी न्यूज़ को बताया, “तीन लेडी कॉन्सटेबल मेरे ऊपर चढ़ी थीं। वो कुछ जानकारी पूछ रहे थे, मैंने कहा मैं बाहर जाकर ही बोलूंगी। मैं मना कर रही थी। इस बात पर उन्होंने मेरे साथ जबरदस्ती की। मुझे नाखून चुभाए और बुरी तरह मारा। उन्होंने मुझसे बैठने के लिए कहा, लेकिन मैं नहीं बैठी।’’

ग़ौरतलब है कि गिरफ्तार किए जाने से पहले अनु दुबे ने एबीपी से कहा था, “कल मैं भी जलूंगी, लेकिन मैं लडूंगी। मैं उम्मीद नहीं कर रही की कोई और भी मेरे साथ यहां धरने पर बैठेगा”। उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या मेरा भी बाकियों जैसा हाल होगा।

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