कन्नौज से खबर आ रही है कि एक मां ने अपने बीमार बच्चे को सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि वो भूख से तड़प रहा था और मां उसके लिए दूध का इंतजाम भी नहीं कर पा रही थी

इस देश का मीडिया दिन-रात दावा कर रहा है कि भारत की इकोनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर होने वाली है। भले ही इस भारी भरकम अमाउंट का हिसाब लगाना मुश्किल हो लेकिन देश का आम आदमी इस बात पर खुश हुए जा रहा है कि बढ़ती अर्थव्यवस्था के मामले में देश विश्वगुरु बनता जा रहा है।

औद्योगिक विकास के दो-चार पैरामीटर दिखाकर देश का विकास बताने वाला ये मीडिया उस सच्चाई के बारे में रूबरू कराने से बचता रहता है जिसमें आम आदमी के विकास की बदहाली दिखती है।

एक ऐसे दौर में जब दावा किया जाता है कि गरीबों को राशन, इलाज और शिक्षा मुफ्त में मुहैया करवाया जा रहा है तभी ऐसी खबरें आ जाती हैं जिससे स्पष्ट हो जाता है कि तमाम जनवादी योजनाएं सिर्फ कागजी हैं।

कन्नौज से खबर आ रही है कि एक मां ने अपने बीमार बच्चे को सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि वो भूख से तड़प रहा था और मां उसके लिए दूध का इंतजाम भी नहीं कर पा रही थी।

हालांकि इस घटना का एक और पहलू यह भी है कि इस बदहाली के लिए सिर्फ हालात नहीं बल्कि वहां के डॉक्टर जिम्मेदार हैं क्योंकि जब बुखार से तपते बेटे को लेकर रुखसार डॉक्टर के पास पहुंची तो वो दवा देने को तैयार नहीं हुए।

निर्धन हो चुकी रुखसार को दवा देने से डॉक्टर ने सीधा मना कर दिया ।

नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक पुलिस की पूछताछ में रुखसार ने बताया कि 3 दिन से बच्चे के लिए दूध का इंतजाम नहीं कर पा रही थी इसलिए गला दबाकर मार डाला।

कन्नौज जिले के छिबरामऊ कस्बे में घटित ये घटना दिल दहला देने वाली है। पोस्टमार्टम में बच्चे की हत्या की पुष्टि हो गई है।

खबरों के मुताबिक, रुखसार का अपने पति शाहिद से झगड़ा हो गया था इस कारण से चार-पांच महीनों से वह घर पर रुपए नहीं भेज रहा था। मुश्किल हालात में रुखसार किसी तरह बच्चों को पाल रही थी लेकिन बीमार बेटे के इलाज और खानपान की व्यवस्था नहीं कर पा रही थी ।

हालांकि बेटे को बचाने के लिए रुखसार ने बहुत कोशिश की और अपने जेवरात और घर का सामान बेचकर 90,000 रु इकट्ठा करके आगरा में इलाज करवा चुकी थी। लेकिन आखिरकार जब पैसे खत्म हो गए तो डॉक्टर ने इलाज करने से मना कर दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here