“ABVP वेमुला को किसी आतंकी की तरह देखती थी।

चूँकि हमदोनों भी दलित समाज से आते हैं इसलिए वेमुला की मौत के बाद हमसे कहा गया था कि हम लगातार टीवी चैनलों पर जाकर एबीवीपी का बचाव करें। लेकिन हमने ऐसा करने से मना कर दिया। क्योंकि वो (एबीवीपी) वेमुला को किसी आतंकी की तरह देखते थे।

ये ख़ुलासा किया है एबीवीपी के पूर्व सदस्यों ने। बीजेपी की छात्रशाखा एबीवीपी के पूर्व उपाध्यक्ष जतिन गोरैया और पूर्व ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रदीप नारवल ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा- एक चैनल के द्वारा दिखाया गया वो वीडियो जिसमें कुछ छात्र कथित रूप से पाकिस्तान ज़िंदाबादके नारे लगा रहे हैं, असल में वो छात्र एबीवीपी के सदस्य हैं या उसको फॉलो करने वाले लोग हैं

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अब बड़ा सवाल ये है कि इस नारेबाज़ी मामले में कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद और बाक़ियों पर जो पुलिसिया कार्रवाई चल रही है क्या इस ख़ुलासे के बाद उसका रुख़ बीजेपी की छात्रशाखा की तरफ़ होगा?.. या हालात जस के तस रहेंगे और भारत सरकार के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस यूँ ही चीजों को नज़रअंदाज़ कर कन्हैया और दूसरों पर शिकंजा कसेगी?

एबीवीपी के दोनों पूर्व सदस्य बताते हैं कि- हैदराबाद में दलित स्कॉलर रोहिता वेमुला की आत्महत्या को मीडिया की बहुत कवरेज मिल रही थी। इसी से ध्यान हटाने के लिए ABVP ने प्लान के तहत इस घटना को अंजाम दिया

पुलिस ने जेएनयू केस में की है चार्जशीट-

दिल्ली पुलिस ने हाल ही में कन्हैया कुमार समेत 10 लोगों पर जेएनयू में कथित देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में चार्जशीट फ़ाइल की है। ये मामला तीन साल पुराना है।

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ABVP के पूर्व सदस्यों के इस ख़ुलासे के बाद अब एबीवीपी तो कटघरे में है ही साथ ही भारत सरकार के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस भी सवाले से घिर गई है। आख़िर पुलिस किसके कहने पर ABVP का साथ दे रही थी? उसने एबीवीपी को बचाने में और कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद और बाक़ियों को फंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

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