अदनान अली

अडानी को PM मोदी का एक और तोहफ़ा, प्रतिबंधित क्षेत्र में अडानी ग्रुप को मिला 1700 करोड़ रु. के कोयला खनन का ठेका लोकसभा 2019 का चुनावी मौसम चालू है और कई तरह के नारे राजनीतिक गलियारों में मशहूर हो रहे हैं। उनमें से एक है “चौकीदार चोर है”, ये नारा मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए दिया है।

कथित राफेल घोटाले के विवाद के बाद ये नारा काफी मशहूर हुआ है। इस सब के बाद ये उम्मीद की जा रही थी कि केन्द्रीय सरकार की ओर से ऐसा कुछ भी देखने में नहीं आएगा जिससे पीएम मोदी की छवि और धूमिल हो लेकिन इसी बीच मोदी सरकार ने एक और विवादस्पद कदम उठाया है।

केन्द्रीय सरकार ने अडानी ग्रुप को छत्तीसगढ़ के हसदेव अरंड के परसा ओपन कास्ट कोयला खदान में कोयला खनन की अनुमति दी है। ये फैसला को विवादस्पद कहने के दो मुख्य कारण हैं। पहला, उद्योगपति गौतम अडानी को पीएम मोदी का करीबी बताया जाता है। दूसरा, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय खुद इस पूरे क्षेत्र में खनन की अनुमति नहीं दी है।

सरकार के फैसले के मुताबिक, हसदेव अरंड जंगल से लगभग 841.5 हेक्टेयर में 5 मिलियन टन प्रति वर्ष परसा ओपन कास्ट कोयला खदान से कोयला खनन की अनुमति है। अडानी समूह द्वारा जंगलों की सफाई, भूमि का अधिग्रहण और सभी खनन कार्य किए जाएंगें। इस क्षेत्र में पर्यावरण के नुकसान के चलते केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में वानिकी विशेषज्ञों ने परसा कोयला ब्लॉक को इनवॉयलेट ज़ोन में डाल दिया है। इसके बावजूद मोदी सरकार ने गौतम अडानी की कंपनी को यहाँ खनन की अनमति दी है।

अडानी `की कंपनी यहाँ वार्षिक 50 मिलियन टन कोयले का खनन करेगी। अगर कोयले के वर्तमान बाज़ार भाव के मुताबिक इसकी कीमत लगाई जाए तप 50 मिलियन टन की कीमत 1700 करोड़ रुपए होती है। वर्तमान में 1 टन कोयले की कीमत 3400 रु. है।

गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी के पर गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए भी अडानी को फायदा पहुँचाने के कई आरोप लगे हैं। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी अपनी कई रिपोर्टों में उनपर ये आरोप लगाए हैं। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी ये सिलसिला जारी रहा है।

हाल ही में मोदी सरकार की ओर से गौतम अडानी को 5 सरकारी हवाईअड्डों के संचालन का ठेका दिया गया है।

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