2 जनवरी को केरल के सबरीमाला मंदिर में 2 महिलाओं के प्रवेश के बाद से उग्र हिंदूवादी संगठनों का राज्य में हिंसक प्रदर्शन जारी है। इस प्रदर्शन में पुलिस सहित 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं। उग्र प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान महिला पत्रकारों को भी अपना निशाना बनाया है।
हिंसक प्रदर्शनकारियों का शिकार हुईं एक महिला वीडियो जर्नलिस्ट शाजिला अली फातिमा ने बताया कि जब वह तिरुअनंतपुरम में उग्र प्रदर्शनकारियों की करतूतों को अपने कैमरे में क़ैद कर रही थीं।
तभी दक्षिणपंथी संगठन के कुछ लोग आए और शाजिला को धमकाने लगें और उनका कैमरा छीनने की कोशिश की। इस दौरान उनके कंधे पर चोट भी आई।
शाजिला के मुताबिक़, “लेफ़्ट पार्टियों के लगाए बैनर फाड़ते हुए एक समूह सेक्रेटिएट की ओर मार्च करते हुए निकला। इस दौरान समूह ने पत्रकारों पर हमला कर दिया।
सबरीमाला: मैं BJP से नहीं डरती, मार खाकर भी इनकी करतूत अपने कैमरे में क़ैद करती रहूंगी
मुझे जान से मारने की धमकी दी लेकिन मैंने अनसुना कर दिया और अपनी ड्यूटी निभाती रही। मुझे झटका तब लगा जब पीछे से मेरे पीठ पर एक लात पड़ी। ये मेरे करियर का सबसे बुरा वक़्त था”।
ऐसी परिस्थितियों में भी अपनी ड्यूटी को बख़ूबी निभाने के लिए जहां सोशल मीडिया पर शाजिला की जमकर तारीफ हो रही है वहीं बीजेपी सहित उन तमाम हिंदुत्ववादी संगठनों की कड़ी आलोचना हो रही है, जिन्होंने पत्रकारों पर हमला किया।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि अभी तक इस मामले पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
पत्रकार आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने इस मामले को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “यह सिर्फ मौखिक नहीं था बल्कि एक क्रूर शारीरिक हमला था। वे दिल्ली के फैन्सी संपादक नहीं थे, वे हाशिए पर रहने वाले क्षेत्रीय पत्रकार थे”।
उन्होंने कहा, “एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया क्या बीजेपी के गुंडों द्वारा उनके साथ किया गया यह बर्ताव किसी प्रतिक्रिया/टिप्पणी के लायक नहीं है। हम जानते हैं कि जेटली जी ने अभी तक इसकी मांग नहीं की है”।
आरफा ख़ानम शेरवानी के इस ट्वीट के बाद हम उम्मीद करते हैं कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया इस मामले पर संज्ञान लेगा और आज़ादी के साथ पत्रकारों पर हुए हमले की आलोचना करेगा।