19 मई को आखिरी चरण का चुनाव है इसके साथ ही ही देशभर के तमाम राजनेताओं और राजनीतिक दलों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी।
चुनाव के परिणाम जो भी आएंगे वो सभी को स्वीकारना होगा लेकिन लोकतंत्र में लोगों का भरोसा तभी बना रहेगा जब चुनाव निष्पक्ष तरीके से कराया जाए। ये जिम्मेदारी जितनी चुनाव आयोग की है उतनी ही वहां के पुलिस प्रशासन व्यवस्था की।
गौरतलब है कि यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार है और उनकी पुलिस की कार्यशैली ‘ठोंक’ देने वाली है।लोगों को धमकाना, परेशान करना तो बेहद आम बात है।
आखिरी चरण में यूपी की 13 सीटों पर चुनाव होना है जिसमें से वाराणसी, मिर्जापुर और गाजीपुर हाई-प्रोफाइल सीटें है पुलिस प्रशासन द्वारा मनमानी के सबसे ज्यादा मामले गाजीपुर से आ रहे हैं। जहां पर महागठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने आरोप लगाया है कि पुलिस अधिकारी उन ग्राम प्रधानों को धमका रहे हैं जो सपा और बसपा के समर्थक हैं। विशेषकर ‘यादव’ ग्राम प्रधानों को चिन्हित करके डराया-धमकाया जा रहा है।
इन ग्राम प्रधानों को ‘रेड कार्ड’ के नाम पर एक तरह से धमकी दी जा रही है। भले ही उस चेतावनी कार्ड में भी लिखा गया है कि ‘आपके और आपके परिवार के सदस्यों द्वारा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के प्रचार एवं मतदान के दौरान कुछ गड़बड़ी फैलाई जा सकती है इसलिए रेड कार्ड जारी किया जा रहा है’।
लेकिन इस मामले में ग्राम प्रधान ‘गुड्डू यादव’ ने एक ऑडियो जारी किया है जिससे योगी के पुलिस की पोल खुल रही है। सुरक्षा व्यवस्था के बहाने ग्राम प्रधान को इस कदर धमकाया जा रहा है कि वो डर के मारे कह रहे हैं कि हम वोट देने ही नहीं जाएंगे।
पुलिस पक्ष की तरफ से धमकी दी गई कि दूसरे प्रधान के घर का दरवाजा भी तोड़ दिया गया और तुम्हारी इज्जत के लिए तुम्हारे घर पुलिस नहीं भेजी गई । इसके साथ ही आगे इशारा किया जाता है कि ‘समझ जाओ और बात मान लो’।
सवाल उठता है कि इस तरह की धमकी और ब्लैकमेलिंग के जरिए कानून व्यवस्था कैसे दुरुस्त होगी ? क्या ये सीधा-सीधा भाजपा उम्मीदवार मनोज सिन्हा को फायदा पहुंचाने की कोशिश नहीं है ?
अगर गठबंधन समर्थक ग्राम प्रधान और उनके समर्थक लोग डर के साए में रहेंगे और वोट देने नहीं जाएंगे तो फिर इससे गठबंधन के पक्ष में वोटिंग घटेगी और बीजेपी को फायदा होगा।
क्या ये मान लिया जाए कि यूपी पुलिस भारतीय जनता पार्टी की लठैत बन चुकी है?
वैसे ये दिलचस्प है कि गोदी मीडिया गाजीपुर के बारे में लिख रहा है ‘लड़ाई बाहुबल बनाम विकास की है’।
मतलब मीडिया ने पहले ही तय कर दिया है कि बाहुबली कौन है और विकास पुरुष कौन है।
लेकिन योगी के पुलिस की ये हरकतें कुछ और ही बयां कर रही हैं जिससे लग रहा है कि बाहुबल का इस्तेमाल तो मनोज सिन्हा के पक्ष में किया जा रहा है।