![lakhimpur khiri](https://boltahindustan.com/wp-content/uploads/2022/01/lak-696x392.jpg)
SIT ने लखीमपुर खीरी हत्याकांड मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। घटना के करीब 90 दिन बाद CJM कोर्ट में दाखिल यह चार्जशीट 5000 पन्नों का है। इसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को मुख्य आरोपी बताया गया है। यानी चार्जशीट आशीष मिश्रा को किसानों का हत्यारा मानता है।
पहले इस मामले में 13 अभियुक्तों को आरोपी बनाया गया था। लेकिन अब चार्जशीट में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के रिश्तेदार वीरेंद्र कुमार शुक्ला का नाम भी जोड़ दिया गया है। वीरेंद्र कुमार शुक्ला पर साक्ष्य मिटाने की धारा 201 के तहत आरोप दायर किए गए हैं। इस तरह अब आरोपियों की संख्या 14 हो गई है।
SIT के मुख्य जाँच अधिकारी विद्या राम दिवाकर ने लखीमपुर खीरी की घटना को गैर इरादतन हत्या मानने से इंकार कर दिया है। विद्या राम दिवाकर ने चार्जशीट में लिखा, ”संकलित साक्ष्यों से यह प्रमाणित हुआ है कि अभियुक्तों ने आपराधिक कृत्य को लापरवाही एवं उपेक्षा से नहीं बल्कि जानबूझकर पूर्व नियोजित योजना के अनुसार अंजाम दिया है। इससे 5 लोगों की मौत हुई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। ये गैर इरादतन हत्या नहीं है। इनके खिलाफ हत्या और हत्या और आपराधिक षडयंत्र का मुकदमा चलाया जाए।”
हालांकि इस चार्जशीट से किसानों का पक्ष खुश नहीं है। किसानों के अधिवक्ता का कहना है कि चार्जशीट में गृह राज्य अजय मिश्रा टेनी का नाम क्यों नहीं लिखा गया, जबकि सारे सबूत थे। इसका मतलब सही से जांच नहीं की गई है’
लखीमपुर : पुलिस ने कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट, किसानों के वकील ने कहा
'सांसद/गृहमंत्री अजय मिश्रा टेनी का नाम क्यों नहीं लिखा गया ? जबकि सारे सबूत थे इसका मतलब सही से जांच नहीं की गई है' #lakhimpurkheri pic.twitter.com/Nb1UTsyVvo
— Bolta Uttar Pradesh (@boltaup) January 3, 2022
बता दें कि घटना के बाद किसानों द्वारा दी गई तहरीर में मंत्री अजय मिश्रा टेनी का नाम था। आम तौर पर जिन नामों को तहरीर दिया जाता है, वही नाम FIR में लिखना होता है। लेकिन शायद पुलिस ने चतुराई दिखाते हुए मंत्री अजय मिश्रा का नाम FIR में नहीं लिखा। और अब चार्जशीट में भी टेनी ‘महाराज’ का जिक्र नहीं है।
गौरतलब है कि पिछले महीने लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना की जांच कर रहे उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल ने लखीमपुर स्थानीय अदालत के समक्ष कहा था कि घटना के दौरान मौजूद लोगों को मारने की साजिश रची गई थी।