आज से ठीक 4 साल पहले यानी 3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर जिले के स्याना थाना के पास कथित गो हत्या की अफवाह के बाद काफी हिंसा हुई थी। इस हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और सुमित नाम के एक युवक की मौत हो गई थी।
मामले के मुख्य आरोपी बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज को पुलिस ने घटना के एक महीने बाद 3 जनवरी, 2019 को गिरफ्तार किया था। सत्ता के तमाम समर्थन हासिल होने के बावजूद दंगाई हो चुका योगेश को कोर्ट से राहत नहीं मिल पा रही है।
इस मामले में ताजा अपडेट ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने योगेश राज की जमानत रद्ध कर दी है। जमानत को रद्ध करते हुए उच्चतम न्यायलय ने कहा है कि ‘गोहत्या के बहाने पुलिस अधिकारी की पीट-पीटकर हत्या की गई थी। यह गंभीर मामला है’
बुलंदशहर में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या मामले के मुख्य आरोपी योगेश राज की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की
SC की टिप्पणी : 'गोहत्या के बहाने पुलिस अधिकारी की पीट-पीटकर हत्या की गई थी। यह गंभीर मामला है'#SupremeCourt @PMishra_Journo pic.twitter.com/Ys4EfCQ8WJ
— News24 (@news24tvchannel) January 3, 2022
गो-रक्षा के नाम पर हुई हिंसा और हत्या का ये मामले कई वजहों से दिलचस्प है। 2014 के बाद गाय के नाम पर शुरू हुई हिंसा की सीरीज़ को इस मोड़ पर आकर कुछ देर के लिए ही सही लेकिन रुकना पड़ा था। क्योंकि मोदी सरकार में पहली बार गाय की रक्षा के नाम पर कोई पुलिस वाला मारा गया था… जो हिन्दू भी था।
साथ ही इस घटना ने ये भी साबित किया कि हिन्दू और गाय बचाने के नाम पर निकला युवा फंसने के बाद खुद को भी नहीं बचा पाता है। कुछ दिन मीडिया में हेडलाइन तो मिल जाती है, पोस्टर-बैनर भी लग जाते हैं। लेकिन भविष्य अनिश्चित हो जाता है। ऐसे लोग सत्ता के लिए खाद की तरह इस्तेमाल हो जाते हैं।