माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनांस एजेंसी (मुद्रा) योजना के तहत मिले रोज़गार के आंकड़ों को मोदी सरकार द्वारा दबाए जाने पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “BSNL, Statue of Unity और NREGA तीनों के वर्करों को वेतन नहीं मिला 45 वर्षों में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी है लेकिन जिनके पास नौकरी है, उन तक को पैसे नहीं मिले आँकड़े छुपा कर भाजपा ने पैसे प्रचार पर ख़र्च किए पर अब देश को प्रचार मंत्री नहीं नया प्रधान मंत्री चाहिए”।

अखिलेश यादव ने इसके साथ ही लगातार कई ट्वीट्स कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, “बेरोजगार ‘विकास’ पूछ रहा है, कहीं कोई काम मिलेगा? खेतिहर ‘विकास’ पूछ रहा है, कब मेहनत का दाम मिलेगा और कारोबारी ‘विकास’ पूछ रहा है, इस कागजी सरकार से छुटकारा कब मिलेगा”।

दरअसल इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि मोदी सरकार की माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनरी एजेंसी (मुद्रा) योजना के तहत कितनी नौकरियां पैदा की गईं, इससे जुड़े लेबर ब्यूरो के सर्वे के आंकड़े फिलहाल सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे। इसे लोकसभा चुनाव के बाद यानी 2 महीने के बाद जारी किया जाएगा।

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञ समिति को ये आंकड़े जमा करने की पद्धति में कुछ अनियमितताएं नज़र आईं, जिसके चलते इस रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने का फैसला ले लिया गया। बता दें कि इस रिपोर्ट के साथ ही नौकरियों और रोजगार से जुड़ी यह तीसरी रिपोर्ट है जिसे सार्वजनिक होने से पहले ही मोदी सरकार ने दबा दिया गया है।

इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी 22 फरवरी की रिपोर्ट में बताया था कि नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस यानी एनएसएसओ की रिपोर्ट को खारिज करने के बाद मोदी सरकार लेबर ब्यूरो के सर्वे के आंकड़ों को जारी करने की तैयारी कर रही है। लेकिन, पिछले शुक्रवार को हुई बैठक में विशेषज्ञ समिति ने लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट में ‘कुछ गड़बड़ियों को दुरुस्त’ करने के लिए कहा। इसके लिए ब्यूरो ने 2 महीने का वक्त मांगा है।

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हालांकि समिति के इस फैसले को अभी केंद्रीय श्रम मंत्री की मंजूरी मिलनी बाकी है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि रविवार से चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद अनौपचारिक तौर पर अब यही फैसला हुआ है कि इस रिपोर्ट को चुनाव के दौरान सार्वजनिक न किया जाए।

मालूम हो कि मोदी सरकार ने बेरोजगारी पर एनएसएसओ की रिपोर्ट और श्रम ब्यूरो की नौकरियों एवं बेरोज़गारी से जुड़ी छठवीं सालाना रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। इन दोनों ही रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में नौकरियों में गिरावट आने की बात सामने आई थी।

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