सरकारी टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) इस समय आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। बीएसएनएल में ऐसा दौर 19 साल में पहली बार आया है। आर्थिक संकट की वजह से बीएसएनएल के 1.76 लाख कर्मचारियों को फरवरी महीने तक की सैलरी अब तक नहीं मिली है। ऐसे में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल खड़ा हो गया है।
सैलरी ना मिलने की वजह से BSNL के आम कर्मचारी जो बेहद ही कम सैलरी पर यहाँ नौकरी में आतें है उनके लिए रोजमर्रा की जिंदगी काटना मुश्किल हो गया है।
BSNL महिला कर्मचारी का छलका दर्द, बोलीं- मेरे पास बच्चों को खाना खिलाने के लिए भी पैसे नहीं हैं
कुछ आर्थिक जानकारों का यह मानना है कि BSNL में आर्थिक मंदी ‘JIO’ का नतीजा है। जिसका खामियाजा अब बीएसएनएल और यहाँ के कर्मचारी झेल रहा हैं। दरअसल, टेलिकॉम इंडस्ट्री के एक्सपर्ट बीएसएनएल के इस हालात की वजह मार्केट में प्राइस वॉर को बता रहे हैं। 2016 में रिलायंस जियो की एंट्री के बाद से ही प्राइस वॉर तेज हुई और प्राइवेट कंपनियों ने अपने प्लान सस्ते कर दिए।
समाजवादी पार्टी ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरा है। सपा ने आरोप लगाया है कि, प्रधानमंत्री ने मुकेश अम्बानी की कंपनी जिओ को फायदा पहुँचाने के लिए बीएसएनएल को दरकिनार कर दिया जिससे मंदी का दौर आ गया।
BSNL और Statue of Unity के वर्करों की सैलरी अपने प्रचार पर ख़र्च कर रहे हैं PM मोदी : अखिलेश यादव
सपा प्रवक्ता सुनील सिंह यादव ने ट्वीट करके लिखा है कि, “19 साल में पहली बार बीएसएनएल अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पाया, क्योंकि उसका सारा धंधा मोदी जी ने अपने दोस्त अंबानी को बेच दिया। सचमुच मोदी है तो मुमकिन है।”
40 साल में पहली बार #बीएसएनएल अपने कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं दे पाया, क्योंकि उसका सारा धंधा मोदीजी ने अपने दोस्त अंबानी को बेच दिया है। सचमुच मोदी है तो मुमकिन है। @yadavakhilesh pic.twitter.com/pC5VI8mFhW
— Sunil Singh Yadav (@sunilyadv_unnao) March 14, 2019
बता दें कि, जिओ के आने के बाद कई कंपनियों ने एक दूसरे के कारोबार में विलय कर लिया तो कुछ कंपनियां टेलिकॉम इंडस्ट्री के कारोबार को समेटने पर मजबूर हुईं। इस जंग में सरकार की कंपनी बीएसएनल भी शामिल हो गई लेकिन इस दौरान उसकी आर्थिक सेहत पर असर पड़ा है, जिस वजह से बीएसएनएल कर्मचारियों की सैलरी अभी तक अटकी पड़ी है।