अनुराधा
मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में हलचल मची हुई है। कांग्रेस के आठ विधायक हरियाणा के मानेसर होटल में बंद रखे गए जिसके पीछे तथा कथित तौर पर भाजपा का हाथ है। माना जा रहा है कि भाजपा बृहस्पतिवार को तीन-चार विधायकों को भी बेंगलुरु ले गई थी।
कांग्रेस ने दिसंबर 2018 में कुल 230 में से 114 सीटों पर जीत के साथ सरकार बनाई थी। उसके बाद दो विधायकों के निधन के बाद सीटों की संख्या 230 से घटकर 228 कर दी गई। कांग्रेस ने कुल 121 विधायकों के साथ सरकार गठित किया था जिसमें दो बसपा एक सपा और 4 स्वतंत्र प्रत्याशी शामिल थे।
इस मामले में कांग्रेस नेता अलका लांबा ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा- दिल्ली को दंगाइयों से बचाएँ, भारत को cronovirus से बचाएँ, विधायकों को BJP से बचाएँ. #MadhyaPradesh
#दिल्ली को #दंगाइयों से बचाएँ,#भारत को #cronovirus से बचाएँ,#विधायकों को #BJP से बचाएँ.#MadhyaPradesh
— Alka Lamba – अलका लाम्बा?? (@LambaAlka) March 3, 2020
कर्नाटक की तरह भाजपा ने यह भी खेला होटल का खेल
मध्य प्रदेश में सत्ता आने के लिए 228 में से 115 सीटें जीतना जरूरी है । कांग्रेस ने 7 गैर – कांग्रेसी विधायकों के साथ यहां सरकार बनाई थी और अगर घटनाक्रम के पीछे भाजपा है तो हो सकता है कांग्रेस को सत्ता खोना पड़ जाए।
ठीक कुछ ऐसा ही पॉलिटिकल ड्रामा पिछले वर्ष कर्नाटक में हुआ था जब कांग्रेस के 10 और जेडीएस के 3 विधायकों को मुंबई के एक होटल में ले जाया गया था। वहां भी कांग्रेस नेताओं को अपने विधायकों से नहीं मिलने दिया गया था। उसके बाद सभी 13 विधायकों ने अपने पदों से इस्तीफा दिया था और कुमार स्वामी की सरकार गिर गई थी।
विधायकों के इस्तीफे को लेकर काफी हंगामा हुआ लेकिन आखिरकार इस्तीफा स्वीकार करने के बाद वाई एस येदुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाया। कुछ ऐसी ही आशंकाएं मध्य प्रदेश के लिए भी दिख रही हैं। दोनों पार्टियों के बीच रस्साकशी जारी अब मध्यप्रदेश में भी आशंकाएं बनी हुई है कि अगर कांग्रेस के चार विधायक बगावत करते हैं तो यहां भी कांग्रेस की सरकार जा सकती है।
वहीं भाजपा जिसके पास 107 सीटें हैं अगर बागी विधायक इसमें शामिल होते हैं तो 115 सीटों के साथ भाजपा की सरकार बन सकती है ।हालांकि इससे पहले कांग्रेस ने भी भाजपा के विधायकों को अपनी तरफ खींचने का प्रयास किया था। लेकिन इस हलचल के बीच कौन सी पार्टी बागी विधायकों को अपनी तरफ खींचने में कामयाब होती है यह कहना मुश्किल।