सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने फायर सर्विस के महानिदेशक पद का कार्यभार संभालने से इनकार कर दिया था।

आलोक वर्मा ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) को सूचित किया है कि वह फायर सर्विस के महानिदेशक के रूप में कार्यभार नहीं संभालेंगे।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सेलेक्ट कमेटी की बैठक में आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाकर फायर सर्विस का डीजी बनाने का फैसला लिया गया था।

सेलेक्ट कमेटी की यह बैठक गुरुवार को पीएम मोदी के आवास पर हुई थी। तकरीबन ढ़ाई घंटे तक चली इस बैठक के बाद आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाकर फायर सर्विस का महानिदेशक बनाने का फैसला लिया गया था।

इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जस्टिस एके सीकरी और लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे।

हालांकि बैठक में खड़गे ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने का विरोध किया था। उन्होंने इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा था कि सेलेक्ट कमिटी की मीटिंग से पहले ही ट्रांसफर का फैसला ले लिया गया था।

ग़ौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल कर दिया था। उन्हें सरकार ने करीब दो महीने पहले जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। अधिकारियों ने बताया कि इस मुद्दे पर कमेटी की यह दूसरी बैठक है। इससे पहले बुधवार को हुई बैठक बेनतीजा रही थी।

77 दिन बाद सीबीआई मुख्यालय पहुंचे सीबीआई चीफ़ फौरन एक्शन में आ गए थे। उन्होंने उनकी ग़ैरमौजूदगी में किए गए सारे ट्रांसफ़र रद्द कर दिए थे। ये सारे ट्रांसफ़र ऑर्डर एम नागेश्वर राव ने दिए थे। जो वर्मा की ग़ैरमौजूदगी में सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनाए गए थे।

सीबीआई चीफ़ ने आज 10 जनवरी को अपने ऑफ़िस के दूसरे दिन ताबड़तोड़ पांच अधिकारियों के तबादले भी किए हैं।

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