सीबीआई विवाद के बाद अब वित्त मंत्री अरूण जेटली ने देश की जांच ऐजंसियों को मीडिया से दूर रहने की सलाह दी है। मंगलवार को डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि कोई भी जांच शुरू होने पर एजेंसियों को मीडिया के समक्ष अपनी बात रखने के आकर्षण से बचना चाहिए।

कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि जितना कम मीडिया विवाद होगा और जितनी कम खबरें आएंगी, उतना ही उनके लिए अच्छा होगा। जहां तक जांच एजेंसियों का सवाल है उनके लिए कोई भी खबर अच्छी बुरी नहीं होती है। ऐसे में शुरुआती जांच की सफलता पर हल्ला करना और बाद में मामला स्थापित नहीं होने पर उनकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचती है।

बता दें कि सीबीआई में मचा घमासान अब देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। सुनावाई के दौरान इस विवाद से जुड़ी कई अहम जानकारियां मीडिया में लीक हो चुकी हैं। इन जानकारियों में प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर देश के कई बड़े अधिकारियों पर बेहद संगीन आरोप लगे हैं।

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मीडिया ने सीबीआई के मामले को राफेल की तरह जन-जन तक पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। लेकिन इस विवाद में मोदी सरकार की बड़ी भूमिका होने के कारण ही अरूण जेटली दोबारा ऐसी जानकारियां मीडिया में नहीं आने देना चाहते।

क्या है सीबीआई विवाद

देश की सबसे बड़ी जांच ऐजंसी सीबीआई के मुख्या आलोक वर्मा और ऐजंसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले राकेश आस्थाना ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय सहित कई कैबिनेट मंत्रियों पर सीबीआई का दुरूउपयोग करने का आरोप लगा। साथ ही देश के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल पर भी सीबीआई निदेशक द्वारा गंभीर आरोप लगाए गए।

चूंकि मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है इस लिए दोनों ही सीबीआई के निदेशकों को छूट्टी पर भेजा जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस मामले की जांच की जा रही है।

 

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