केंद्र की बीजेपी सरकार ने 10 एजेंसियों को इसकी इजाज़त दी है कि वो किसी भी शख़्स, संगठन के कंप्यूटर की जासूसी कर सकती हैं।

इसकी आलोचना करते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीटर पर लिखा कि, अब समझ आया ‘घर-घर मोदी’ का मतलब-

समझें पूरा मामला-

दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नोटिफ़िकेश जारी करके बताया है कि, देश की 10 प्रमुख एजेंसियाँ अब किसी भी कंप्यूटर की जेनरेट, ट्रांसमिट, रिसीव, और स्टोर किए गए दस्तावेज़ों को खंगाल सकेंगी। इस फ़ैसले की वजह देश की सुरक्षा बताई जा रही है। जिसे आई टी एक्ट की धारा 69 के तहत लिया गया।

फ़ैसले के बाद से ही तमाम विपक्षी दल इसकी आलोचना कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे निजता पर हमला बताया है-

वहीं सरकार के इस फ़ैसले को असंवैधानिक बताते हुए माकपा के नेता सीताराम येचुरी ने सवालिया लहजे में कहा कि, ‘सरकार हर भारतीय को अपराधी क्यों मानती है?’

जिन 10 एजेंसियों को जासूसी का अधिकार दिया गया-

  1. इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी)
  2. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
  3. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)
  4. सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज
  5. डायरेक्टोरेट ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलीजेंस
  6. सीबीआई
  7. एनआईए
  8. कैबीनेट सचिवालय (रॉ)
  9. डायरेक्टोरेट ऑफ़ सिग्नल इंटेलीजेंस
  10. दिल्ली पुलिस कमिश्नर

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