देश में चल रही जाहिलियत की आंधी की चपेट में उत्तर प्रदेश सरकार का उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग भी आ चुका है। बीते दिन कि खबर है कि आयोग की कृपा से मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी अब अकबर प्रयागराजी हो गए हैं। इनके आवाल दो और शायरों के नाम से भी इलाहाबादी हटा कर प्रयागराज कर दिया गया है। तेग इलाहाबादी अब तेग प्रयागराज हो चुके हैं और राशिद इलाहाबादी को राशिद प्रयागराज बना दिया गया है।
यूपी उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की इस करतूत की गंध जब सोशल मीडिया के सुधियों तक पहुंती तो हंगामा बरप गया। तमाम साहित्यकारों, पत्रकारों आदि ने इस कुढ़मगजता की भर्त्सना की। इसी सूची का एक नाम है- इयान वुलफोर्ड
इयान को हिन्दी का प्रेमी भी कहा जा सकता है। ब्रिटेन में पैदा हुए और ऑस्ट्रेलिया में रहकर हिंदी की पढ़ाई करने वाले इयान का हिन्दी से बेतहाशा मोहब्बत जगजाहिर है। फिलहाल इयान ला ट्रोबे यूनिवर्सिटी में हिंदी के प्रोफेसर हैं।
जब मीडिया में अकबर इलाहाबादी के नाम के साथ हुई छेड़छाड़ की खबर तैरने लगी तो साहित्य के तमाम शुभचिंतकों की तरह इयान को भी कोफ़्त हुई।
उन्होंने भी अकबर इलाहाबादी के नाम के साथ हुई गुस्ताख़ी की एक खबर का टुकड़ा ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, ”उनका पूरा नाम क्यों नहीं बदला ? विशाल प्रयागराजी पहले ही लिया गया था क्या ? या रणबीर प्रयागराजी ? … अनंत ? .. अनुपम ?”
उनका पूरा नाम क्यों नहीं बदला ? विशाल प्रयागराजी पहले ही लिया गया था क्या ? या रणबीर प्रयागराजी ? … अनंत ? .. अनुपम ? pic.twitter.com/fiPAfFZXZW
— Ian Woolford 🏳️🌈 (@iawoolford) December 29, 2021
इयान का इतना लिखना था कि ‘हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान’ के नफरती झंडाबदरों ने ज़हर उगलना शुरू कर दिया। उस व्यक्ति के हिन्दी प्रेम को संदिग्ध बताया जाने लगा जिसके हिन्दी से मोहब्बत की सुगंध भारत के सबसे पिछड़े गावों तक पहुंची है। भारत के ना जाने कितने हिन्दी समागमों को इयान ने रोशन किया है।
ख़ैर, कुएं में भांग पड़ ही गई है तो लोगों का बौराना लाजमी है। इयान के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए भारत भूषण नामक एक यूजर ने पहले तो दिल्ली पुलिस को टैग किया, फिर लिखा ”ये एन्टी इंडिया व एन्टी हिन्दू आदमी भारत के आंतरिक मामलों में नाक घुसेड़ रहा है।”
यकीन मानिए अगर भारत भूषण के इस ट्वीट को प्रयोगवादी कवि भारत भूषण अग्रवाल ने पढ़ लिया होता जरूर अपनी बिना इंक वाली कलम से इसके फोन में छेद कर देते।
ये कितना हास्यास्पद है कि जो व्यक्ति दुनिया के अलग-अलग देशों में भारत की भाषा को पहुंचा रहा है उसे ही भारत विरोधी और भाषा विरोधी बताया जा रहा है।
भारत भूषण की तरह एक और यूजर ने इयान के ट्वीट पर अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करते हुए लिखा, ”सुनों इयान, हिन्दी हमारी मातृभाषा है। हिन्दू के अलावा हिन्दी कोई नहीं पढ़ सकता। यदि किसी और ने हिंदी पढ़ने-पढ़ाने की बात की तो हम दिल्ली पुलिस को टैग करके ईंट से ईंट बजा देंगें। अरे ओ एन्टीहिन्दू जाओ जाकर अरबी, उर्दू, फारसी पढ़ो और मुसलमानों पर कमेंट करो, है हिम्मत?”
जैसा कि इस ट्वीट से पता चल ही गया होगा कि अब हिन्दी को हिन्दुओं की भाषा और उर्दू को मुसलमानों की भाषा घोषित कर दी गई है। वो बात दीगर है कि हिन्दी के सबसे प्रसिद्ध कहानीकार और उपन्यासकार प्रेमचंद हिन्दी से पहले उर्दू में ही लिखा करते थे। हरिवंशराय बच्चन अंग्रेजी के शिक्षक थे लेकिन रचना हिन्दी में करते थे।
ख़ैर, छोड़िए। ऐसे थोथों पर किसी भी तरह के विमर्श को खर्च करने का कोई मतलब नहीं है। फिलहाल इस बेहूदा ट्वीट के साथ नत्थी एक अन्य कांड पर आते हैं। जैसा की पहले बताया कि इयान को धमकी देने वालों ने लगातार दिल्ली पुलिस को टैग किया। अव्वल तो ऐसी घटिया ट्वीट में टैग करने के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगानी चाहिए थी…. लेकिन हुआ उल्टा। दिल्ली पुलिस ने टैग किए गए ट्वीट के नीचे जवाब दिया, ”आप साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आप अपने अधिकार क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में भी जा सकते हैं।”
आप साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल https://t.co/31HYfBZMIu पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आप अपने अधिकार क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में भी जा सकते हैं।
— #DelhiPolice (@DelhiPolice) December 29, 2021
ये ट्वीट होशो हवास में लिखा तो नहीं लगता। शायद लिखने वाला/वाली ने अकबर इलाहाबादी के ‘हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है’ वाले मोड में लिखा है।
अच्छा हुआ दिल्ली पुलिस की इस पॉलिसी के बार में छायावादियों को पता नहीं था, वरना वो भी आचार्य शुक्ल के खिलाफ ट्वीट कर करते हुए दिल्ली पुलिस को टैग कर देते।
खैर, हमारी ही तरह इयान को भी दिल्ली पुलिस के ट्वीट पर आश्चर्य हुआ। उन्होंने लिखा, क्या अकबर इलाहाबादी का नया नाम लागू करने के लिए दिल्ली पुलिस हिंदी के प्रोफेसरों के पीछे लगेगी?
Wait is this… real? Will police come after hindi professors to enforce Akbar Allahabadi’s new name? https://t.co/uYDbDJbchF
— Ian Woolford 🏳️🌈 (@iawoolford) December 29, 2021
अपने एक दूसरे ट्वीट में इयान ने भारत में बढ़ रही कट्टरता पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने लिखा है, ”अकबर इलाहाबादी की कहानी मूर्खतापूर्ण लग सकती है, लेकिन यह वास्तव में काफी गंभीर है और भारत से मुसलमानों को किसी भी तरह से मिटाने के लिए एक शातिर अभियान का हिस्सा है-दुकानों से, सड़कों से, पाठ्यपुस्तकों से। हमने इसमें दिल्ली पुलिस की मिलीभगत देखी है, इसलिए यह ट्वीट कोई आश्चर्य की बात नहीं है”
Akbar Allahabadi story may seem silly, but this is actually deadly serious and part of a vicious campaign to erase Muslims from India in any way possible—from shops, from streets, from textbooks. We have seen Delhi police complicity in this, so this tweet is no surprise https://t.co/uYDbDJbchF
— Ian Woolford 🏳️🌈 (@iawoolford) December 29, 2021
अब लौट आते हैं अकबर इलाहाबादी पर। शिक्षा आयोग के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने इस विवाद से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि उन्हें नाम बदलने वाले मामले की कोई जानकारी नहीं है। लेकिन अगर कोई गलती हुई है तो सुधार जरूर किया जाएगा।