नीट-पीजी काउंसलिंग जल्द कराए जाने की मांग को लेकर 17 दिसंबर से शुरू हुआ रेजिडेंट डॉक्टर्स का विरोध प्रदर्शन आज भी जारी है। 27 दिसंबर यानी कल प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने डॉक्टर्स को बुरी तरह पीटा, घसीटा, गाली दी और हिसारत में लिया। महिला चिकित्सकों का आरोप है कि पुरुष पुलिसकर्मियों ने उनके साथ बदसलूकी भी की। पुलिसिया बर्बरता के बाद से रेजिंडेट डॉक्टर्स का ये प्रदर्शन अब अधिक संगठित हो गया है।

डॉक्टर्स के साथ हुई बर्बरता के बाद इस आन्दोलन को विपक्ष को समर्थन मिलने लगा है। राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी ने मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए लिखा है, पिछले साल जब डॉक्टर्स को मास्क, पीपीई किट की जरूरत थी तब फूल बरसा रहे थे। आज जब वो अपने हक की मांग कर रहे, तो उन पर लाठी डंडे बरसा रहे हैं। क्या ऐसे ही तीसरी लहर की तैयारी कर रही है मोदी सरकार ?

हालांकि आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है। मंडाविया ने कहा है, मैंने सभी रेजीडेंट डॉक्टरों के साथ बैठक की। हम अभी काउंसलिंग नहीं करा सकते क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। मामले की छह जनवरी को सुनवाई है। उम्मीद है कि नीट-पीजी की काउंसलिंग जल्द शुरू होगी।

इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टर्स से जनहित में हड़ताल को वापस लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है, “मैं सभी डॉक्टरों से अपेक्षा करता हूं कि Covid-19 के संकट में हमारे देश के नागरिकों, मरीज़ों को दिक्कत न हो उसके लिए अपनी ड्यूटी जॉइन कर लें।”

स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात के बाद एम्स दिल्ली के रेडीजेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने 29 दिसंबर को हड़ताल वापस लेने की घोषणा की है। हालांकि सफदरजंग रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. अनुज अग्रवाल का कहना है कि वो अभी हड़ताल जारी रखेंगे।

डॉक्टर्स क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन?

पूरा मामला नीट-पीजी काउंसलिंग से जुड़ा है। डॉक्टर्स की मांग है कि 42 हजार नए चिकित्सकों की काउंसलिंग की तारीख जल्द से जल्द घोषित की जाए। वर्क फोर्स को बढ़ाया जाए। दिल्ली स्थित इहबास (IHBAS) अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने बैनर लगाकर अपनी मांग आम लोगों को समझाने की कोशिश की है।

एसोसिएशन का कहना है कि वर्क फोर्स में 42000 नए डॉक्टर्स को शामिल किए जाने से मरीजों को बेहतर इलाज मिल पाएगा और डॉक्टर्स पर भी वर्क लोड भी कम होगा।

17 दिसंबर से जारी इस हड़ताल को लेकर एसोसिएशन तब तक खत्म करने के पक्ष में नहीं है जब तक काउंसलिंग की ‘पक्की’ तारीख घोषित नहीं की जाती। शायद एसोसिएन पिछली बार मिले धोखे के कारण अधिक सचेत हो गया है। दरअसल, गत 6 दिसंबर को भी दिल्ली के अस्पतालों ने हड़ताल शुरू की थी। लेकिन तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपने वकील के जरिए डॉक्टर्स से कुछ दिन का समय मांगा था।

बता दें कि इस हड़ताल में जीटीबी, लेडी हार्डिंग, सफदरजंग, आरएमएल और एलएनजेपी जैसे प्रतिष्ठित अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स शामिल हैं।

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