मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश कर दिया है. आर्थिक मामलों से जुड़े तमाम आंकलन सामने आ रहे हैं. इसी के साथ सामने आ रहा है भारतीय बैंकों पर मंडराता धोखाधड़ी का ख़तरा.

RBI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि बैंकों में वित्त वर्ष-19 में 73 प्रतिशत से धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि हुई है. कुल मिलाकर बैंकों के साथ 2018 से 2019 के बीच में 71,543 करोड़ रूपए का फ्रॉड किया जा चूका है.

दरअसल, जयंत देश (RBI के मुख्य महाप्रबंधक) ने बताया कि 2017 से 2018 के बीच में बैंकों ने 41,167 करोड़ रूपए के धोखाधड़ी के मामलों के बारे में रिपोर्ट किया था. क्यूंकि 2018 से 2019 के बीच में 71,543 करोड़ रूपए का फ्रॉड हुआ था, इसलिए FY-19 में धोखाधड़ी के मामले 73 प्रतिशत से बढ़ गए. जयंत ने इन चौंकाने वाले आंकड़ों को सीआईआई के एक इवेंट में उजागर किया.

आंकड़ों के इस खेल को जितना बारीकी से समझा जाए उतना कम है. उदाहरण के तौर पर संसद में पेश किए गए बजट को ही ले लीजिए. निर्मला सीतारमण ने बताया कि 2018 से 2019 के बीच फ्रॉड के 3131 मामले कम दर्ज हुए हैं . भले ही बैंक फ्रॉड यानी कि धोखाधड़ी के कम मामले दर्ज हुए हों, लेकिन जितने मामले हुए हैं उनमें पहले से ज़्यादा रुपयों की धोखाधड़ी हुई है. अगर RBI के वरिष्ठ अधिकारी ने सही आंकड़ें पेश किए हैं, तो इसका मतलब है कि कि 2018 से 2019 के बीच में बैंकों के साथ ज़्यादा अमाउंट का फ्रॉड किया गया है.

जहाँ एक तरफ ये आंकड़ा चौंकाने वाला है, तो वहीं दूसरी तरफ बैंकों के सिस्टम पर भी सवाल खड़ा होता है. देश ने पहले ही PNB स्कैम जैसे बड़े-बड़े घोटालों को देखा है और उसका नुकसान भी झेला है. उसके बाद इतनी बड़ी संख्या में रुपयों की धोखाधड़ी हो जाना कई सवाल खड़े करता है.

क्या न्यू इंडिया में बैंकों की सुरक्षा यूँ ही ताक पर रखी जाएगी? सरकार इन मामलों पर ठोस कदम कब उठाएगी?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here